रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि स्काॅर्पियन पनडुब्बी से जुड़ा संवेदनशील डाटा और डिजाइंस लीक हो गए हैं, यह ”मान लेना’ बेहद जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे ‘दावों’ की सबसे पहले भारतीय नौसेना द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए। द ऑस्ट्रेलियन अखबार की रिपोर्ट के बाद कि भारत में बन रही पनडुब्बियों की वर्गीकृत जानकारी लीक हो गई है, द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पर्रिकर ने कहा, ”बिना किसी तकनीकी जानकारी के एक अखबार की वेबसाइट पर छोटी मात्रा में जारी किए गए कागजातों की वजह से हम आसानी से कुछ भी मान नहीं सकते। हमें पहले लीक की मात्रा का पता लगाना होगा और भारत से लिंक्स ढूंढने होंगे। हमारे सामने बस दावे हैं कि हजारों दस्तावेज लीक हो गए हैं। किसी भी मामले में, जो भी कहा जा रहा है वह पुराने दस्तावेजों के बारे में हैं, 2010 या उससे पहले के।” पर्रिकर ने नौसेना ने से इस मामले पर एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपने को कहा है जो कि वे अगले 24-48 घंटों में दे देंगे। उन्होंने कहा कि उसके बाद ही किसी तरह के ‘डैमेज कंट्रोल’ का अनुमान लगाया जा सकेगा।
पर्रिकर ने कहा, ”हमें आकलन करते समय बेहद सावधान रहना होगा। मामले के सभी पहलुओं की जांच की जाएगी और बचाव के लिए जो भी तरीके अपनाए जा सकते हैं, वे अपनाए जाएंगे। लेकिन यह सब तभी होगा जब नौसेना अपनी शुरुआती रिपोर्ट सौंपेगी।” पर्रिकर इससे पहले दिए गए अपने बयान से किनारा करते दिखे कि लीक एक तरह से ‘हैकिंग’ का मामला थी और यह उनकी ‘जानकारी में मंगलवार रात करीब 12 बजे आई।’ उन्होंने कहा, ”मैं स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता है कि कोई हैकिंग या लीक हुई। मैंने कब कहा कि हैकिंग हुई है? एक बार नेवी द्वारा मेरे सामने जानकारी रखी जाए, फिर एक साफ तस्वीर उभरेगी। इस वक्त कुछ भी मान लेना बचकाना होगा।”