उपग्रह प्रणाली टोल मार्ग पर वाहन चालकों को राहत देगी। परिवहन मंत्रालय ने वाहनों की परेशानियों को देखते हुए इस तकनीक का शुरुआती परीक्षण शुरू कर दिया है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई तकनीक की मदद से टोल पर लगने वाला समय कम होगा और टोल संबंधित शिकायतों में भी कमी लाई जा सकेगी।
केंद्र सरकार को बार-बार टोल कर्मचारी बदलने की वजह से आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए यह पहल शुरू की गई है। हालांकि यह परीक्षण एक छोटे से हिस्से पर किया जा रहा है ताकि इसके माध्यम से निकलकर सामने आने वाले परिणाम के आधार पर नई व्यवस्था को अन्य राजमार्ग पर भी प्रयोग किया जा सके।
नितिन गडकरी ने बताया कि जल्द ही इसकी परीक्षण की रपट तैयार कर ली जाएगी और नई व्यवस्था से राजमार्ग की सुविधाओं को और भी बेहतर बनाया जा सकेगा। बीते दिनों में टोल मार्ग पर कई प्रकार की तकनीकी परेशानियां सामने आई है और इसकी शिकायतें भी मंत्रालय तक पहुंची है।
गडकरी ने बताया कि देश में फास्टैग को शुरू करने से टोल संग्रह में महत्त्वपूर्ण उछाल आया है। टोल से राजस्व संग्रहण 2013-14 के 4,700 करोड़ से बढ़ कर 2022-23 में 41,342 करोड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक टोल राजस्व संग्रहण को 1,30,000 करोड़ तक पहुंचना है। उन्होंने बताया कि इस धनराशि का प्रयोग सरकार टोल मार्ग पर सेवाओं के विस्तार के लिए कर रही है।
इसके परिणामस्वरूप टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय भी कम हो गया है। देश के विभिन्न टोल प्लाजा पर 2014 वाहन चालक के लिए प्रतीक्षा का समय 734 सेकंड था जबकि 2023 में यह समय घटकर केवल 47 सेकंड रह गया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इसे घटाकर 30 सेकंड कर लेंगे।
उन्होंने बताया कि इसकी प्रमुख वजह टोल भुगतान केंद्र पर पर नगद भुगतान की जगह आनलाइन भुगतान की व्यवस्था है। आइआइएम कोलकाता के एक शोध का हवाला देते हुए बताया कि इस कदम से टोल प्लाजा पर नौ साल में इंतजार के कारण बर्बाद होने वाले र्इंधन खर्च में लगभग 70,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है।