कुछ साल पहले पाकिस्‍तान जेल में मारे गए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को लेकर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में नया खुलासा हुआ है। केंद्र की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि सरबजीत ने भारतीय वाणिज्‍य दूतावास से कहा था कि वह छोटा सा तस्‍कर था। भठिंडा के कारोबारी हरमिलाप ग्रेवाल ने आरटीआई दाखिल की थी।

इस पर विदेश मंत्रालय का जवाब था, ”ऐसा बताया गया कि 30 अगस्‍त 2005 को पाकिस्‍तान सरकार ने दूतावास संबंधी सुविधा मुहैया कराई थी जिसमें श्री सरबजीत सिंह ने बताया कि था कि वह आजीविका के लिए छोटी-मोटी तस्‍करी करता था। एक बार ऐसी ही यात्रा के दौरान उसे 29-30 अगस्‍त 1990 की रात को कसूर सीमा के पास पाकिस्‍तानी सैनिकों ने पकड़ लिया था।” आरटीआर्इ की यह कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। कई यूजर सरबजीत को शहीद का दर्जा देने पर सवाल उठा रहे हैं।

ग्रेवाल ने कहा, ”मुझे सरबजीत के परिवार को आर्थिक मदद देने से कोई दिक्‍कत नहीं है। लेकिन जब सरबजीत ने खुद का परिचय तस्‍कर के रूप में कराया तो फिर उस समय की राज्‍य और केंद्र की सरकारों ने उन्‍हें शहीद घोषित क्‍यों किया। क्‍या हम सरबजीत सिंह को भगत सिंह और करतार सिंह सराभा की तरह याद कर सकते हैं? जब सरबजीत का शव लाया गया था उस समय चुनाव थे और हो सकता है इसी वजह से उसे शहीद घोषित किया गया हो।”