उत्तर प्रदेश के संभल मामले में अब केंद्र सरकार की भी एंट्री हो गई है। संभल कोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक बयान देकर कहा है कि मुगलकालीन शादी जामा मस्जिद का प्रबंधन और कंट्रोल उसे सौंप देना चाहिए। एएसआई 1920 से ही इसका संरक्षण कर रही है। इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील विष्णु शर्मा ने यह बयान कोर्ट को सौंपा। हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि 1529 में इस मस्जिद को हरिहर मंदिर के ऊपर बनाया गया था।
एएसआई ने क्या कहा
एएसआई ने इस मामले में कहा कि मस्जिद का सर्वे करने में स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा है। एएसआई ने कोर्ट में यह भी कहा कि 19 जनवरी 2018 को एक एफआईआर उस वक्त मस्जिद प्रबंधन समिति के खिलाफ दर्ज कराई गई थी। तब मस्जिद प्रबंधन ने बिना आधिकारिक इजाजत के मस्जिद की सीढ़ियों पर स्टील की रेलिंग लगवा दी थी। कोर्ट में एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने कहा कि एएसआई के प्रावधानों के तहत मस्जिद में आम लोगों को जाने की इजाजत होनी चाहिए।
मस्जिद कमेटी ने क्या कहा?
कोर्ट में मस्जिद कमेटी के प्रमुख जफर अली भी मौजूद रहे। उन्होंने कोर्ट में माना कि इस मस्जिद का संरक्षण 1920 से एएसआई कर रही है। इसमें किसी भी तरह के बदलाव के लिए एएसआई की मंजूरी लेनी होती है। उन्होंने कोर्ट में कहा कि मस्जिद की सीढियों पर रेलिंग बहुत पहले लगाई गई थी। मौजूदा कमेटी सिर्फ 6 साल से है। ऐसे में उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि ये रेलिंग कब लगाई गई हैं। आगे पढ़ें संभल जा रहे अजय राय को लखनऊ में रोका गया।