उत्तर प्रदेश के संभल में प्राचीन मंदिर मिलने के बाद एक बार फिर इतिहास में हुए दंगों की चर्चा होने वाली है। 1978 में दंगों के बाद इस प्राचीन मंदिर पर ताला लगा दिया गया। उस दौरान कई हिंदू परिवार इस इलाके से पलायन कर गए थे। यह मामला विधानसभा में भी गूंजा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि भगवान विष्णु का दसवां अवतार संभल में ही होगा। यहां 19 नवंबर को भी सर्वे हुआ। 21 नवंबर को भी हुआ। 24 नवंबर को भी सर्वे का कार्य चल रहा था। धीरे-धीरे सच लोगों के सामने आने लगा है।
आखिर संभल में क्यों हुए थे 1978 में दंगे?
करीब 77 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले संभल में पहले काफी संख्या में हिंदू रहते थे। साल 1976 और 1978 में यहां दो बड़े दंगे हुए थे। इसी से बाद यहां हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक संभल जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की साल 1976 में हत्या कर दी गई थी। संसदीय रिकॉर्ड और एसएलएम प्रेमचंद की 1979 की प्रकाशित ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’ किताबों में कहा गया है कि मौलाना की हत्या एक हिंदू ने की थी।
एक और मामला 1978 का था। यहां एक ही डिग्री कॉलेज था जो महात्मा गांधी मैमोरियल डिग्री कालेज के नाम से नगर पालिका कार्यालय के पास था। उसके संविधान के अनुसार प्रबन्ध समिति दस हजार रुपये दान लेकर संस्था का आजीवन सदस्य बना सकती थी। तब यहां की ट्रक यूनियन द्वारा दस हजार रुपये का चेक इस कॉलेज के कोष के लिए भेजा गया था, जिसकी रसीद मंजर शफी के नाम थी। इसी रसीद के आधार पर मंजर शफी कॉलेज प्रबंध समिति के आजीवन सदस्य की हैसियत से इसमें सम्मिलित होना चाहते थे। हालांकि ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अभी तक किसी को इसके लिए अधिकृत नहीं किया है। ऐसे में एसडीएम द्वारा जो कि इस कॉलेज की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष थे उन्होंने मंजर शफी को मान्यता नहीं दी।
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मंजर शफी के समर्थकों ने विभिन्न स्थानों में जाकर अफवाह फैलाना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि अफवाहों में मंजर शफी का मारा जाना, मस्जिद का तोड़ा जाना, पेश इमाम का जलाया जाना तथा कोतवाली के पास बनी मस्जिद को नष्ट किया जाना और अनेक लूटपाट व कत्ल की अफवाहों का फैलाया जाना था। इसके बाद स्थिति बेकाबू होने लगी। यहां तत्काल कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया गया तथा जिला मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिस बल प्राप्त होने तक दंगाईयों द्वारा विभिन्न स्थानों पर आगजनी लूटमार और हत्या की वारदातें हो चुकी थी। 29 मार्च 1978 से 20 मई तक कर्फ्यू नगर के क्षेत्रों में लगा रहा।
अब क्यों हो रही चर्चा?
संभल में पिछले दिनों मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन की टीम इलाके में बिजली और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही थी। इसी दौरान खग्गू सराय इलाके में एक प्राचीन मंदिर मिला है। इस मंदिर को 400 साल पुराना बताया जा रहा है। यह मंदिर 1978 के बाद से बंद था। बताया जा रहा है कि पहले इस मंदिर में नियमित रूप से पूजापाठ होता था लेकिन 1978 के दंगों के बाद हिंदू परिवार इस इलाके से पलायन कर गए। इसी के बाद से इस मंदिर पर ताला लगा दिया गया। आगे पढ़ें संभल से जुड़ी हर अपडेट