केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने गुरुवार को सफदरजंग अस्पताल के एक न्यूरोसर्जन और उसके चार सहयोगियों को मरीजों को आपरेशन की जल्द तारीख देने के लिए अत्यधिक कीमत पर एक विशेष स्टोर से सर्जिकल उपकरण खरीदने के वास्ते मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।अधिकारियों ने बताया कि एजंसी ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापेमारी की व नापाक साठगांठ का भंडाफोड़ किया।

न्यूरोसर्जन मनीष रावत को गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया गया। गहन जांच के बाद, सीबीआइ ने रावत व उसके चार विश्वासपात्रों को गिरफ्तार किया, जिनमें नई दिल्ली में स्थित कनिष्क सर्जिकल स्टोर के मालिक दीपक खट्टर और बिचौलिए अवनेश पटेल, मनीष शर्मा और कुलदीप शामिल हैं।

सीबीआइ के एक प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद रावत का गुरुवार सुबह सात बजकर 52 मिनट पर सफदरजंग अस्पताल में ही मेडिकल परीक्षण कराया गया। गिरफ्तार लोगों पर लगे आरोप रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से संबंधित हैं। सीबीआइ ने रावत पर अस्पताल के स्थापित प्रोटोकाल के विपरीत चिकित्सा परामर्श और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए रोगियों से भुगतान की मांग करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया है।

मरीजों के रिश्तेदारों से संपर्क करता था बिचौलिया पटेल

सीबीआइ के अनुसार, रावत की ओर से पटेल मरीजों के रिश्तेदारों से संपर्क करता व सर्जरी के लिए शीघ्र तारीख सुनिश्चित करने के लिए जंगपुरा स्थित खट्टर की दुकान से शल्य चिकित्सा उपकरण प्राप्त करने को कहता। फिर वह उनसे खट्टर के कर्मचारियों-शर्मा या कुलदीप को नकद भुगतान करने या इन कर्मचारियों के बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबरों पर आनलाइन पैसा भेजने का अनुरोध करता। पटेल कथित तौर पर मरीजों के परिजनों से प्राप्त धन को रावत को व्यक्तिगत रूप से नकद में देता या सर्जन के निर्देशानुसार शर्मा, कुलदीप, या खट्टर से धन प्राप्त करने के बाद इसे दूसरों को भेज देता।

सीबीआई के प्रवक्ता ने खुलासा किया कि रावत ने रोगियों को ऐसी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया जो उपकरणों की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक थी। दुकान के मालिक ने इस मुनाफे को आरोपी सर्जन के साथ साझा किया। जांच में खुलासा हुआ है कि रावत ने अपने रोगियों को एक बिचौलिए के बैंक खाते में 30,000 रुपए से लेकर 1.15 लाख रुपए तक की रिश्वत जमा करने के निर्देश दिए।

एजंसी ने रावत पर अत्यधिक महंगे सर्जिकल उपकरणों की बिक्री से उत्पन्न अतिरिक्त धन के हेरफेर, रिश्वत के माध्यम से खुद को और अपने सह-साजिशकर्ताओं को समृद्ध करने और बरेली निवासी एक निजी व्यक्ति गणेश चंद्र द्वारा नियंत्रित विभिन्न कंपनियों के माध्यम से अवैध लाभ का शोधन किए जाने का भी आरोप लगाया है।