राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जनवरी में होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपना डेब्यू करने जा रहा है। धरती पर सबसे बड़ा लिटरेरी शो कहे जाने वाले इस फेस्टिवल में संघ के दो वरिष्ठ प्रचारक शामिल होंगे, जिनमें अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का नाम है। लेकिन इस बार बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हर साल आने वाले अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और के सच्चिदानंद जैसे लेखकों को इस बार निमंत्रण नहीं दिया गया है। बता दें कि इन लेखकों ने पिछले साल असहनशीलता के मुद्दे पर अवॉर्ड वापसी कैंपेन को सपोर्ट किया था। बता दें कि विवादों से भी लिटरेचर फेस्टिवल का पुराना नाता रहा है। समाजशास्त्री आशीष नंदी ने कह दिया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोग भ्रष्टाचार में ज्यादा लिप्त पाए गए हैं। इसके अलावा इस फेस्टिवल में लेखक सलमान रुश्दी को निमंत्रण देने पर भी विवाद छिड़ गया था। हालांकि वह इस फेस्ट में नहीं आए थे।
दिलचस्प बात है कि 2017 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 10 साल पूरे हो रहे हैं। एक दशक में फेस्टिवल ने 1300 से अधिक वक्ताओं की मेजबानी की है। 19-23 जनवरी तक डिग्गी पैलेस होटल में आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल में ढाई सौ लेखकों, विचारकों, पत्रकारों समेत सांस्कृतिक जगत की हस्तियों को आमंत्रित किया गया है।
लिट फेस्ट 2017 में आने वाले 10 वक्ताओं की घोषणा नवंबर में की गई थी। इसमें इतिहासकार, लेखिका और शास्त्रीय गायिका डाॅ. रेबा सोम, राजनीतिक वैज्ञानिक, पत्रकार तथा वकील विनय सीतापति, गीतकार, पटकथा लेखक और कवि प्रसून जोशी, स्वतंत्र पत्रकार कुंगा तेंजिन दोरजी, भाषाविद् तथा मॉरीशस इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर डाॅ. इसा अरगरल्ली, डेविड कैनाडिन, एफबीए, डाॅज प्रोफेसर, हिस्ट्री, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी एक बार फिर रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लाॅयड सी ब्लैंकफिन प्रोफेसर डेविड आर्मिटेज पुरस्कार प्राप्त लेखक और शिक्षक हैं।
गाइल्स मिल्टन पहली बार भाग लेंगे। इतिहास पर आधारित नौ पुस्तकों के ख्यातिप्राप्त लेखक गाइल्स ने नथानील्स नटमैग लिखी है। रिचर्ड फार्टे नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन में पेलियोंटोलाॅजिस्ट हैं। उन्हें लोक प्रिय विज्ञान पर आठ पुस्तकों के लेखक के तौर पर ज्यादा पहचाना जाता है। जेम्स बार पश्चिम एशिया पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। इनकी लाॅरेंस ऑफ अरेबिया तथा अरब विद्रोह पर लिखी उनकी पुस्तक डेजर्ट आॅन फायर का प्रकाशन 2006 में हुआ था।
