गणतंत्र दिवस की परेड देखने का इतंजार सभी को रहता है, इसके ऊपर जो झांकियां दिखाई जाती हैं, उनका अलग ही उत्सार देखने को मिल जाता है। लेकिन पिछले कई सालों से देखा गया है कि इन झांकियों के साथ एक विवाद जुड़ा हुआ है। जिन राजयों की झांकी परेड में दिखाई जाती है, वो खुश दिखते हैं, वहीं जिन राज्यों की झांकी परेड में शामिल नहीं हो पातीं, उनकी तरफ से केंद्र पर आरोप लगाए जाते हैं।
इस बार भी वैसे ही स्थिति बनती दिख रही है। पंजाब की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं किया गया है। इस पर सीएम भगवंत मान ने बीजेपी पर ही गंभीर आरोप लगा दिया है और पंजाब के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। अब इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच झांकियों को शामिल करने के विस्तार से नियम बताए गए हैं, उन्हीं नियमों के आधार पर किसी भी राज्य की झांकी को परेड में शामिल किया जाता है।
झांकियों का डिपार्टमेंट कौन देखता है, सरकार से क्या कनेक्शन?
गणतंत्र दिवस की जो भी झांकियां निकलती हैं, उनका सीधा अप्रूवल रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, यानी कि सरकार से इसका सीधा वास्ता होता है। लेकिन ये भी सच है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा एक विशेष कमेटी का गठन किया जाता है जिसमें आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर की फील्ड लोग होते हैं। जो भी राज्य अपनी झांकी को शामिल करवाना चाहता है, वो अपना प्रस्ताव इस कमेटी को भेजता है।
कमेटी कैसे करती है किसी झांकी का चयन?
अब इसका सबसे सीधा जवाब तो ये है कि किसी भी झांकी को उसके विषय, डिजाइन, विजुअल इंपैक्ट के आधार पर चेक किया जाता है। इसके ऊपर भी कई और पैरामीटर रहते हैं, जिन्हें देखा जाता है। जिन भी झांकियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है, उन्हें फिर तय समय के अंदर उन झांकियों का एक थ्री डी मॉडल कमेटी को पेश करना होता है। ये प्रक्रिया से 6 से 7 राउंड वाली रहती है, यानी कि नाम अंत तक फाइनल नहीं होता है।
बाद में भी जिन झांकियों को परेड के लिए हरी झंडी दी जाती है, रक्षा मंत्रालय की तरफ से उन्हें एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर मुहैया करवाता है। अगर कोई राज्य चाहे तो वो अपवी तरफ से कोई अन्य वाहन का इस्तेमाल भी कर सकता है, लेकिन उसकी मंजूरी भी रक्षा मंत्रालय की तरफ से ही जाती है।