घर खरीदारों के साथ मनमानी करने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाने के लिए बना रियल एस्टेट रविवार से लागू हो गया। हालांकि, फिलहाल इसका एक ही हिस्‍सा प्रभावी होगा। अब राज्‍यों को छह महीने के भीतर इस कानून के तहत नियम बनाने होंगे। एक साल के भीतर रेगुलेटरी अथॉरिटी और अपीलीय अथॉरिटी का गठन करना होगा।

आवास और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय का कहना है कि नोटिफिकेशन के बाद इस बिल को लागू करने की शुरुआत हो गई है। मंत्रालय के मुताबिक, रविवार से इस कानून का सेक्शन 20 लागू हो जाएगा। इसके तहत सरकार को एक साल के भीतर राज्यों को रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन के लिए नोटफिकेशन जारी करना होगा। यही अथॉरिटी न सिर्फ बिल्डरों के प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करेगी, बल्कि उपभोक्ता की शिकायत का 60 दिन के भीतर निपटारा भी करेगी। इसी तरह से एक साल के भीतर, 30 अप्रैल, 2017 तक रियल एस्टेट अपीलीय ट्रिब्यूनल भी बनाना होगा। इस कानून के 22 सेक्शन बाद में लागू किए जाएंगे।

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अधिकारियों का कहना है कि पूरे कानून को एक साथ लागू करने से कई तकनीकी दिक्कतें होंगी। कानून के तहत यह प्रावधान है कि जब तक प्रोजेक्ट का रेगुलेटरी अथॉरिटी से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता, तब तक बिल्डर उस प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए मकानों को बेच नहीं सकेगा। अगर इस नियम को अभी लागू कर दिया जाए तो अभी जो मकान बन गए हैं, उन्हें बेचना बंद करना पड़ेगा। क्योंकि रेगुलेटर तो अभी बना ही नहीं है। इससे पूरा सिस्टम ही गड़बड़ा जाएगा। इसी वजह से इस कानून के प्रावधानों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।

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