पांच दिन की भागदौड़ के बाद जब शाहिद का नंबर पंजीकरण कराने के लिए नहीं आया तो वह मजबूरी में नंदनगरी में बने श्रमिक पंजीयन केंद्र के पास के बने रैन बसेरे में ठहर रहे हैं ताकि सुबह जल्दी उठकर कतार में लग जाएं। उनका कहना है कि पांच दिनों से रोज सुबह घर जाने के लिए कतार में लग रहे हैं, लेकिन बार-बार लाइन में लगने के बाद भी उनका नंबर नहीं आ रहा है।
दिल्ली सरकार के श्रमिक पंजीयन केंद्रों का यही हाल है। भूखे प्यासे मजदूर कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, ताकि किसी तरह पंजीकरण हो और वे अपने घर पहुंचे।
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उत्तर प्रदेश व बिहार जाने के लिए ऐसे ही सैकड़ों लोग इन दिनों पंजीयन के लिए इस केंद्र पर कतारों में लग रहे हैं। केंद्र पर सैकड़ों लोग कतार में दिखते हैं और दो गज की दूरी के नियम का भी पालन नहीं हो पा रहा है। इस केंद्र के बाहर शनिवार सुबह आधा-आधा किलोमीटर तक की लाइन लगी हुई थी। शाहिद ने बताया कि वह यहां एक फैक्टरी में काम करता था। वह भी बंद हो गई।
कुछ दिन उधार लेकर काम चला। अब वह भी नहीं है तो केवल घर जाने का ही रास्ता बचा है। तापमान बढ़ जाने से इन प्रवासियों की मुश्किलें और बढ़ गई है और ये लोग लू के थपेड़ों के बीच यहां लाइनों में लगने को मजबूर हैं। फरीदाबाद से अपने परिवार के साथ अपने नंबर आने का इंतजार कर रहे प्रियरंजन शुक्ला अपने परिवार के साथ बिहार जाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि 15 से 16 दिन पहले अपना पंजीयन कराया था, लेकिन उनको एसएमएस नहीं आया है।