सन्नी वर्मा। एक तरफ सरकार भले ही लोगों को डिजिटल ट्रांजेक्शन की तरफ ले जाने की बात कर रही हो लेकिन यह इतना भी आसान नहीं होने वाला। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग अपने डेबिट कार्ड का पूरी तरीके से इस्तेमाल ही नहीं करते। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2016 में 10 में से 9 लोग डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ एटीएम से पैसे निकालने के लिए करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 94.2 करोड़ डेबिट कार्ड हैं। अक्टूबर के महीने में डेबिट कार्ड की मदद से 2.63 लाख करोड़ रुपयों का ट्रांजेक्शन हुआ। लेकिन उसमें से 90 प्रतिशत पैसा एटीएम से ही निकाला गया था। कुल आठ प्रतिशत मामले ऐसे थे जिसमें डेबिट कार्ड का इस्तेमाल पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) पर किया गया। जिसमें सामान और सर्विस को कार्ड की मदद से लिया जाता है। लगभग 50 प्रतिशत डेबिट कार्ड ऐसे हैं जो लगातार इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन पीओएस पर उनका इस्तेमाल भी 6-8 प्रतिशत ही है। यह हैरान कर देने वाला इसलिए है क्योंकि देश में एटीएम की संख्या कुल 2.20 लाख हैं वहीं पीओएस मशीन 15.12 लाख हैं।
वहीं देश में क्रेडिट कार्ड की संख्या 8.95 करोड़ है। जो कि डेबिट कार्ड की तुलना में काफी कम हैं। लेकिन पीओएस पर उनका इस्तेमाल काफी ज्यादा है। अक्टूबर के महीने में उनसे कुल 29,866 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मास्टरकार्ड के सीनियर बिजनेस लीडर, अमिताभ तिवारी ने कहा, ‘अगर पीओएस का लोग ज्यादा इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे तो एटीएम पर उनकी निर्भरता खुद ही कम हो जाएगी। लोगों को पैसे निकालने के साथ-साथ अपने कार्ड का इस्तेमाल बाकी सामान खरीदने के लिए भी करना चाहिए।’
तिवारी ने बताया कि सरकार मार्च तक 10 लाख पीओएस मशीन और लगाने वाली है। तिवारी के मुताबिक, भारत के लोग लगभग 80 लाख करोड़ रुपए सालाना अपने ऊपर खर्च करते हैं उनमें से पांच प्रतिशत पैसा ही कार्ड से निकाला जाता है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि नोटबंदी को लागू करने का एक मुख्य कारण यह भी था कि लोग कैश पर निर्भरता कम करके इलेक्ट्रोनिक ट्रांजेक्शन की तरफ बढ़ें। सरकार लोगों को इलेक्ट्रोनिक ट्रांजेक्शन की तरफ आकर्षित करने के लिए कई सारी स्कीम और कैशबैक दे रही है।
