जिले के मूसाझाग थाने में दो सिपाहियों ने थाना परिसर में एक किशोरी के साथ बलात्कार किया। सरकार ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया और संबंधित थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने घटना का संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है। यह घटना 31 दिसंबर की रात की है।

बदायूं के पुलिस अधीक्षक (नगर) लल्लन सिंह ने मूसाझाग थाने में घटी इस वारदात के बारे में बताया 14 वर्षीय एक किशोरी शौच के लिए घर से निकली थी, तभी कांस्टेबल वीरपाल सिंह यादव और अवनीश यादव ने उसे अपने वाहन में बैठाकर अगवा कर लिया और थाने ले जाकर उससे बलात्कार किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी सिपाहियों की तलाश शुरू कर दी है।

इस बीच, पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) ए सतीश गणेश ने लखनऊ में बताया कि लड़की की चिकित्सा जांच में उससे बलात्कार की पुष्टि हुई है। खाकी पर दाग लगाने वाली इस वारदात के आरोपी दोनों सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि मूसाझाग के थाना प्रभारी रामलखन को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बरेली के रहने वाले दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों की तलाश के लिए कई टीमें गठित की गई हैं जबकि अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) एचसी अवस्थी को मामले की जांच करने को कहा गया है।

इसके पूर्व, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस वारदात को बेहद गंभीरता से लेते हुए दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई करने और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए।

उधर, केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस वारदात को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि जनता को न्याय दिलाने के बजाय पुलिसकर्मी कानून तोड़ रहे हैं और लोगों पर जुल्म कर रहे हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बदायूं में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर शिकार लड़कियों की मदद के लिए यहां जल्द ही ‘रेप क्राइसिस सेंटर’ खोला जाएगा।

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने घटना का संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को रिपोर्ट तलब की। आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने शुक्रवार के अखबारों और टेलीविजन चैनलों में बदायूं, मेरठ, कानपुर देहात और हरदोई जिलों में महिलाओं व छात्राओं के साथ हुई उत्पीड़ की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया। बयान के मुताबिक संबंधित जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों या पुलिस अधीक्षकों से फोन पर बातचीत कर घटनाओं का ब्योरा लिया गया। इन लोगों को चिट्ठी लिखकर निर्देश दिया गया है कि वे इन घटनाओं की जांच कर पीड़िताओं को न्याय दिलाएं और अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को भेजें।

आयोग ने जिन घटनाओं का संज्ञान लिया है, उनमें बदायूं के थाने में सामूहिक दुष्कर्म, कानपुर देहात में छेड़खानी का मामला वापस नहीं लेने पर फायरिंग, मेरठ में बीएससी की छात्रा के साथ गैंगरेप और हरदोई में घर में घुसकर छात्रा पर तेजाब फेंकने जैसी घटनाएं शामिल हैं।