इस सप्ताह हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में गुड़गांव से सांसद राव इंदरजीतसिंह को रक्षा मंत्रालय से हटाकर योजना एवं नगरीय विकास राज्य मंत्री बना दिया गया। रक्षा मंत्रालय में वे राज्य मंत्री थे। इकॉनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार से 10 दिन पहले 25 जून को रक्षा मंत्रालय की बैठक में इंदरजीत सिंह ने काफी हंगामा किया था। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के दखल के बाद मामला शांत हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार बैठक के दौरान इंदरजीत सिंह ने सेना और रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण इकाई पर आरोप लगाया कि 44 हजार कार्बाइन के ठेके में गलत चुनाव किया। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए इटैलियन कंपनी बेरेटा को ठेके में शामिल करने का पक्ष लिया। बता दें कि सेना के ट्रायल में बेरेटा कंपनी की कार्बाइन फेल हो गई थी और इजरायली कंपनी आईडब्ल्यूआई ही यह टेस्ट पास कर पाई।
बैठक के दौरान सेना और रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण इकाई ने बताया कि किसी कंपनी को टेंडर में शामिल करने के लिए नियम बदले नहीं जा सकते। ऐसा करने पर निर्णय कानूनी चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएगा। रक्षा मंत्री पर्रिकर एक कंपनी को नहीं रखने पर राजी थे। इंदरजीत सिंह ने बताया कि वे चाहते थे कि पता लगाया जाए कि आईडब्ल्यूआई को कैसे चुना गया।
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गौरतलब है कि सेना कई साल पहले ही अपनी कार्बाइन को रिटायर कर चुकी है। 2010 में 44600 कार्बाइन मंगाने का टेंडर जारी हुआ। 2013 में बेरेटा, आईडब्ल्यूआई और कोल्ट ने ट्रायल दिया। कोल्ट और बेरेटा की कार्बाइन नाइट साइट में फेल हो गई थी।