रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के सैकड़ों संन्यासियों ने किसी राजनीतिक दल का पक्ष नहीं लेने की स्थापित परंपरा का अनुसरण करते हुए इस बार के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी मतदान से दूरी बनाए रखी।

स्वामी विवेकानंद के 1897 में स्थापित इस मिशन के एक प्रमुख संन्यासी ने कहा कि तकरीबन सभी संन्यासियों के पास मतदाता पहचान पत्र हैं, लेकिन यह सिर्फ एक पहचान पत्र के तौर पर है।

सालों से हम स्वामीजी के निर्देशों का पालन कर रहे हैं कि हमें आध्यात्मिक और मानवीय गतिविधियों के दायरे से बाहर नहीं जाना है। मतदान का मतलब यह होगा कि हम किसी नेता या पार्टी का पक्ष ले रहे हैं जो हम नहीं करते हैं।

सालों से मतदान में हिस्सा नहीं लेने का यह चलन अब बेलुरमठ में एक स्वीकार्य परंपरा का रूप ले चुका है। यह स्थान कोलकाता से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। संन्यासियों का कहना है कि शीर्ष स्तर पर उनके लिए मतदान को लेकर कोई आधिकारिक निर्देश नहीं है।

लेकिन संन्यासी जीवन जी रहे सभी नए सदस्य बिना शिकायत किए हुए परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। बेलुरमठ में करीब 1,500 ब्रह्मचारी और संन्यासी रहते हैं। मठ और मिशन के भारत व दुनिया भर में 178 केंद्र हैं।