राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते शनिवार (18 मई, 2019) को कहा कि पुराने समय की जौहर प्रथा गौरव का विषय है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि ‘जौहर इतिहास में हमारे गौरव और बलिदान का विषय रहा है।’ गहलोत ने महाराणा प्रताप को बलिदान और साहस का प्रतीक बताते हुए भारतीय जनता पार्टी पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया। मुख्यमंत्री गहलोत की यह टिप्पणी राजस्थान में कांग्रेस सरकार के आने के बाद स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव पर उठे विवाद को लेकर आई है। बता दें कि राज्य में आठवीं कक्षा की अंग्रेजी की पुस्तक में जौहर की एक प्रतीकात्मक तस्वीर को हटाकर उसकी जगह एक किले की तस्वीर लगायी गयी है। इसके साथ ही दसवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर के नाम के आगे से वीर संबोधन हटाया गया है। भाजपा ने सावरकर के नाम के आगे से वीर संबोधन हटाये जाने समेत कुछ बदलावों का विरोध किया है। कांग्रेस के भी कुछ नेताओं ने इन बदलावों का विरोध किया है। इनमें राजस्थान के ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह और राज्य कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट गोपाल सिंह इदवा का नाम शामिल है।

बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने माध्यमिक शिक्षा के सिलेबस की किताबों में बदलाव कर दिया है। नई किताबों में सावरकर के चैप्टर में बदलाव करते हुए उन्हें वीर और क्रांतिकारी के स्थान पर अंग्रेजों से दया मांगने वाला बताया गया है। इतना ही नहीं सावरकर से जुड़े पाठ में कुछ नए तथ्य जोड़े गए हैं। इसमें लिखा गया है कि सावरकर ने 1906 ई. में अभिनव भारत की स्थापना की। सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 के संघर्ष को गदर न कहकर भारत का प्रथम स्वतंत्रता युद्ध बताया था। सावरकर का लंबा समय अंडमान की सेलूलर जेल में बीता। उन्हें जेल में कठोर यातनाएं दी गईं। जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष दया याचिकाएं भेजीं। पहली दया याचिका अगस्त 1910 दूसरी 14 नवंबर 1911 को भेजी। इसमें उन्होंने स्वंय को पुर्तगाल का पुत्र कहा।
इधर खबर यह भी है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को लेकर भी कुछ बदलाव करने जा रही है। दरअसल पिछली भाजपा सरकार ने पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध का विजेता बताया था। अब कांग्रेस सरकार अब इसमें संशोधन करने जा रही है। नए पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी का विजेता नहीं बताया गया है। हालांकि खास बात ये है कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर को भी विजेता घोषित नहीं किया गया है। पाठ्यक्रम में यह बदलाव 12वीं कक्षा के सिलेबस में किया गया है।