भारतीय रेलवे ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों से परेशान होकर एक बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रहा है। रेलवे ट्रेनों के सेकेंड एसी कोच में लगे पर्दे हटा सकता है। रेलवे बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि यात्री इन पर्दों को इतनी जल्दी गंदे कर देते हैं कि उन्हें निकालने की नौबत आ चुकी है। जबकि ट्रेनों में मौजूद पर्दे महीने में एक बार धुलाई के लिए जाते हैं। रेलवे ने 2009 में पैसेंजर्स की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए 2AC और 3AC में पर्दे लगवाए थे।

सेकेंड एसी कोच में लगे पर्दों के जल्दी गंदे होने का कारण यात्रियों द्वारा हाथ और जूते पोछना है। हालांकि रेलवे इन कोच में सफर करने वाले यात्रियों की निजता का पूरा ख्याल रखेगा। रेलवे इन पर्दों को हटाकर पट्टियों से बनी खिड़की लगाने पर विचार कर रहा है। रेलवे ने इस मामले में दो प्रपोजल दिए गए है और महीने की आखिरी तक इस पर फैसला आने की पूरी संभावना है।

2014 में रेलवे ने 3AC से पर्दे हटा दिए थे। 28 दिसंबर, 2013 को बेंगलुरू-नांदेड़ में पर्दों में आग लगने से 26 लोगों की जिंदा जलने सेमौत हो जाने के बाद पर्दे हटा लिए गए थे। एसी थ्री कोचों से पर्दे हटाने का फैसला रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीओआरएस) की सिफारिशों के आधार लिया गया है। सीओआरएस ने बेंगूलर-नांदेड़ एक्सप्रेस हादसे की जांच में पाया था कि पर्दों की वजह से एसी थ्री कोच में आग तेजी से फैली थी।

बता दें कि, रेलवे की बीते एक हफ्त पहले एक रिपोर्ट आई थी। जिसमें यात्रियों द्वारा की जाने वाली चोरियों का ही जिक्र था। रेलवे ने बताया था कि, पिछले साल ट्रेनों में मिलने वाले 1.95 लाख तौलिये यात्री अपने साथ ले गए। इतना ही नहीं, 81 हजार 736 चादरें, 55 हजार 573 तकिया के खोल, 5 हजार 38 तकिया और 7 हजार 43 कंबल भी चोरी हो चुके हैं। यात्रियों द्वारा की जा रही चोरियों की वजह से पिछले तीन सालों में रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।