‘रेडियो शारदा’ के संस्थापक निदेशक रमेश हंगलू ने कहा, ‘हम भारत और 108 अन्य देशों में रह रहे कश्मीरी पंडितों से इस रेडियो स्टेशन के माध्यम से जुड़े हुए हैं। कश्मीर संस्कृति, इतिहास, संगीत, भजन और समुदाय के सामने मौजूद मुद्दों पर आधारित अपने कार्यक्रमों के कारण यह समुदाय के बीच हर घर में लोकप्रिय है।’

घाटी में आतंकवाद फैलने के बाद कश्मीरी पंडितों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा था और इस रेडियो के माध्यम से उन्हें अपनी बात रखने का एक मंच मिल गया है क्योंकि इस पर न सिर्फ उनकी संस्कृति बल्कि उनके मुद्दों के बारे में बात की जाती है। उन्होंने कहा कि ‘रेडियो शारदा 90.4 एफएम’ का नारा ‘बूजीव ते खोश रूजीव’ (सुनो और खुश रहो) है।

रमेश हंगलू ने कहा, ‘जो अपनी जड़ों से कट गए हैं उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने की जरूरत है और हमारी सेवा इसमें उनकी मदद करेगी।’ कश्मीरी पंडित समुदाय को अपनी जड़ों से जोड़ने और अगली पीढ़ी के बीच कश्मीर के बारे में संस्कृति, संगीत और ज्ञान को संरक्षित, बढ़ावा देने और प्रचारित करने के उद्देश्य से ‘रेडियो शारदा’ का संचालन दिसंबर 2011 में शुरू हुआ।

बयासी वर्षीय श्रोता अवतार कृष्ण भट ने कहा, ‘मैंने विशेष रूप से रेडियो शारदा सुनने के लिए एक रेडियो खरीदा। यह मुझे मानसिक शांति देता है। मैं कश्मीरी भजन और अन्य कार्यक्रमों को सुनने के लिए हर दिन सुबह सात बजे रेडियो शारदा चालू करता हूं।’अवतार ने कहा, ‘यह मेरे जहन में कश्मीर की पुरानी यादों को ताजा करता है और एहसास कराता है मानो मैं अब भी घाटी में अपने घर पर हूं।’अवतार की तरह ही युवा कश्मीर पंडित भी सामुदायिक रेडियो पर कश्मीरी गीत सुनते हैं।