मान अमन सिंह, जगदीप सिंह दीप
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के मातहत विभाग ने एक बांध बनाया है जो शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बन रहे उनके फार्महाउस को बाढ़ के खतरे से बचाएगा। साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले के सिसवां गांव में बना यह बांध एक बरसाती नदी का रास्ता बदलेगा। बांध न होता तो पानी सीधा सिंह के फार्महाउस में घुस आता। इसे मृदा एवं जल संरक्षण विभाग ने बनाया है जो मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है। गांव की पंचायत ने इस साल प्रस्ताव पास कर सरकार से बांध बनाने को कहा था। पंचायत का दावा था कि खेतों में पानी भर जाता है।
बांध बनाने का काम जुलाई में शुरू हुआ, उसी वक्त फार्महाउस का निर्माण भी। यह बांध मुख्यमंत्री की लगभग 7 एकड़ जमीन की बाउंड्री वॉल के पास तक बना है। सीएम को भेजे गए प्रश्नों के जवाब में उनके मीडिया सलाहकार रवीण ठकराल ने “हितों का टकराव” होने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ”इलाके में बनने वाला यह कोई पहला बांध नहीं है…विभाग ने पिछले 15 सालों में मिट्टी/पत्थरों के कई बांध बनाए हैं। जब-जब गांववालों ने बरसाती नदी-नालों से खेत में पानी भरने की शिकायत की, तो बांध बनाए गए ताकि मिट्टी का कटाव न हो।”
ठकराल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट “पंचायत के सरपंच द्वारा पास प्रस्ताव पर लागू किया गया था। यह मुख्यमंत्री का निजी प्रोजेक्ट नहीं है और न ही यह उनकी निजी संपत्ति पर बना है।” मृदा और जल संरक्षण विभाग के दस्तावेज दिखाते हैं कि बांध को “वाटर हार्वेस्टिंग/रीचार्जिंग ढांचा” की श्रेणी में रखा गया है। दस्तावेजों के अनुसार, बांध बनाने के लिए पैसा जिस योजना से आया, उसे NABARD भी फंड करता है। स्वीकृत लागत 15,20,800 रुपये थी। प्रोजेक्ट को अंतिम मंजूरी जुलाई 2018 में दी गई मगर दस्तावेजों के अनुसार, इस संबंध में छह महीने पहले ही हलचल शुरू हो गई थी।
पहले यह बांध प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत बनना था। हालांकि 26 और 27 जून, 2018 को विभागीय पत्र बताते हैं कि अधिकारियों को एहसास हुआ कि कुछ तकनीकी पहलुओं के चलते प्रोजेक्ट PMKSY योग्य नहीं है। पत्राचार में अधिकारियों ने मॉनसून से पहले प्रोजेक्ट शुरू होने जाने की आवश्यकता बताई। 13 जुलाई 2018 के एक पत्र में मुख्य मृदा संरक्षक ने NABARD-RIDF-17 योजना के तहत बांध को मंजूरी दे दी।
नाम गुप्त रखने की शर्त पर यहां के किसानों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि फार्महाउस के पीछे की पहाड़ियों से बारिश का पानी बरसाती नाले के जरिए खेतों में फैल जाया करता था। उन्होंने पुष्टि की कि उन्होंने ऐसे बांध की जरूरत पहले नहीं महसूस की थी। लेकिन बांध से जुड़े दस्तावेजों में एक सिसवां सरपंच अमर सिंह का भेजा गया एक पत्र है, जिसमें पंचायत द्वारा पारित एक प्रस्ताव का हवाला दिया गया है।
संपर्क करने पर अमर सिंह ने बताया कि प्रस्ताव “छह महीने पहले” पास किया गया था था। द इंडियन एक्सप्रेस को पता चला कि पंचायत ने 2 जून, 2018 को प्रस्ताव पास किया। मुख्य मृदा संरक्षक धरमिंदर शर्मा ने कहा कि प्रोजेक्ट जुलाई में उनके कार्यभार संभालने से पहले शुरू हुआ।
मुख्यमंत्री की ओर से जवाब देते हुए उनके मीडिया सलाहकार रवीण ठकराल ने कहा, “मुख्यमंत्री के फायदे के लिए बांध बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं है, न ही यह उनकी जमीन पर बना है, न ही इस पूरे मामले में हितों का कोई टकराव है।”
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