पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया है। केस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कोई भी स्थापित राजनीतिक व्यक्ति सार्वजनिक शिकायतों पर गंभीर होता है। ऐसे में यदि वह मौके पर जाकर सत्यापन का निर्णय लेता है तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसका इरादा सरकार की किसी घोषणा के उल्लंघन का था।”
खनन कार्य में बाधा डालने के खिलाफ दर्ज कराई गई थी रिपोर्ट
शिकायतकर्ता फ्रेंड्स एंड कंपनी की ओर से 30 जून, 2021 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अमृतसर (ग्रामीण) के समक्ष दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी के अनुसार, सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल के अन्य सदस्यों ने उनके स्टाफ और कर्मचारियों को धमकी दी थी और अमृतसर जिले के वज़ीर भुल्लर गांव में उनके कानूनी खनन कार्यों और गाद निकालने में बाधा डाली थी।
मौके पर 200 लोगों के साथ पहुंचकर धमकाने का था आरोप
प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि बादल करीब 200 समर्थकों के साथ खनन स्थल पर पहुंचे और अपनी कंपनी के खनन ट्रकों को यह कहकर रोक दिया कि खनन गतिविधियां अवैध हैं। शिकायतकर्ता के गवाहों ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता और उनके समर्थकों ने मास्क नहीं पहना था।
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 269, 270, 188, 341 और 506 और महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 3 के तहत अमृतसर ग्रामीण जिले के ब्यास पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था।
बादल ने कोर्ट से एफआईआर को खारिज करने का निर्देश देने का आग्रह किया। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अर्शदीप सिंह चीमा ने दलील दी कि रिपोर्ट राजनीतिक से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि भले ही सभी आरोपों को सत्य मान लिया जाए, फिर भी अभियोजन शुरू करने के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया और इसके बावजूद, सरकार ने गुप्त उद्देश्यों के लिए उन पर मुकदमा चलाया।
बादल के वकील ने यह भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता ने उस समय मास्क नहीं पहना था। अगर नहीं भी पहना था तो वह क्षेत्र नदी के किनारे एक खुला क्षेत्र था और भीड़ से बहुत दूर था। ऐसे में मास्क न पहनना अप्रासंगिक है। इसके अलावा, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता कोविड-पॉजिटिव था।