केंद्र और राज्य के बीच आए दिन टकराव की स्थिति बन जाती है। ऐसा कई बार देखने को मिला है। ऐसी स्थिति गैर बीजेपी शासित राज्यों में ही देखी जा रही है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यपालों से आग्रह किया है कि केंद्र और राज्य के बीच मतभेद होने पर वो जनता में सक्रियता दिखाए। साथ ही मतभेद के मामलों पर अपना विचार भी तुरंत साझा करें।
2 अगस्त यानी आज राष्ट्रपति भवन में होने वाले राज्यपाल सम्मेलन के लिए इस सुझाव को रखा जाना है। ये सम्मेलन 2 दिनों तक चलने वाले है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी। राष्ट्रपति भवन में होने वाले राज्यपाल सम्मेलन को लेकर राष्ट्रपति सचिवालय ने जानकारी साझा की है। जिसमें बताया गया है कि इस सम्मेलन में सभी राज्यों के राज्यपाल शामिल होंगे। ये राज्यपालों का पहला सम्मेलन है।
आज का दौर सोशल मीडिया का है। कोई भी छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी घटना सोशल मीडिया का सबसे बड़ा मुद्दा बन जाता है। जिसका आम लोगों में प्रभाव भी देखने को मिलता है। लेकिन आज के दौर में भी बहुत से नेता और राज्यपाल इससे दूरी बनाए रखते हैं। जिसके वजह से वो जनता के बीच अपनी सक्रियता नहीं दिखा पाते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यपालों को जनता के बीच सक्रियता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करने का आग्रह किया है।
जांच एजेंसियों की भूमिका पर जोर
वहीं इस सम्मेलन को लेकर जो सुझाव तैयार किए गए हैं उनमें सोशल मीडिया के साथ ही और भी बातों पर जोर दिया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी और सरकारी संगठन के बीच राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी जोर दिया गया है। केंद्र का इस बात आग्रह है कि विभिन्न जांच एजेंसियों और संगठनों के बीच राज्यपाल को समन्वय करना चाहिए। इससे नौकरियों में बढ़ोत्तरी, शिक्षा, कौशल और विकास को लेकर शासन के प्रमुख मुद्दों पर बदलाव आ सकता है।
राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी किए गए बयान में ये भी बताया गया है कि इस सम्मेलन में राष्ट्रपति और राज्यपालों के अलावा उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्री नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सीईओ शामिल होंगे। सचिवालय के बयान में कहा गया है कि नए तीन आपराधिक कानूनों को सही तरीके से लागू कराने, विश्वविद्यालयों, आदिवासी क्षेत्रों के विकास को लेकर एजेंडा शामिल किया गया है।