प्रधानमंत्री कार्यालय नोटबंदी की नकरात्‍मक कवरेज से नाराज है। पीएमओ की तरफ से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पत्र सूचना ब्‍यूरो (पीआईबी) को नोटबंदी की नाकामी की टेलीविजन कवरेज को लेकर तलब किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय को लगता है कि ज्‍यादातर टेलीविजन चैनल्‍स अब लोगों की तकलीफ और बैंकों तथा एटीएम के बाहर लंबी लाइनों को दिखा रहे हैं जबकि पहले यही चैनल ‘सकरात्‍मक’ संदेश दे रहे थे। रेडिफ ने वरिष्‍ठ पत्रकार राजीव शर्मा के हवाले से लिखा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा पीआईबी को तलब किया तथा उन्‍हें कहा गया कि वे चैनल्‍स के साथ बातचीत करें और ‘संतुलित’ कवरेज के लिए प्रभावित करें। हालांकि मंत्रालय और पीआईबी अधिकारियों को यह समझ नहीं आ रहा कि पीएमओ के निर्देशों पर अमल कैसे किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को राष्‍ट्र के नाम संबाेधन में 500, 1000 रुपए के पुराने नोट अमान्‍य घोषित किए थे।

नोटबंदी को एक महीने से ज्‍यादा का वक्‍त गुजर चुका है, मगर आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार स्थितियां सामान्‍य होने के आसार कम ही नजर आते हैं। जब पीएम ने नोटबंदी का ऐलान किया तो मीडिया में फैसले की वाहवाही देखने को मिली। दो दिन बैंक बंद रहने के बाद जब ख्‍ुाले तो लंबी कतारों ने मीडिया का ध्‍यान खींचा। कई जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने भी फैसले पर चिंता जताई है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस फैसले के चलते जीडीपी को तगड़ा नुकसान होने की आशंका संसद में जताई थी। टीवी चैनलों पर बहस के दौरान भी अ‍र्थजगत के कई विशेषज्ञों ने इस फैसले के लागू होने के तरीके और अधूरी तैयारियों पर सवाल खड़े किए। पीएमओ इन्‍हीं सब वजहों से नाराज बताया जा रहा है।

नोटबंदी के बाद अपने हर भाषण में प्रधानमंत्री कहते रहे हैं कि इस फैसले को देशवासियों ने भरपूर समर्थन दिया है। बकौल मोदी, लोग कष्‍ट सहकर भी काले धन के खिलाफ इस ‘यज्ञ’ में खुशी से हिस्‍सा ले रहे हैं। मगर टीवी पर चल रही खबरें इस भावना के उलट रही हैं। इसी वजह से पीएमओ के की निगाहें टीवी चैनलों की तरफ टेढ़ी हुई हैं और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पीआईबी अधिकारियों को तलब किया गया है।