केंद्र सरकार 5 जुलाई को 2019- 20 का बजट पेश करेगी। बजट पेश होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर शनिवार (22 जून 2019) को 40 अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की। इस दौरान अर्थशास्त्रियों ने पीएम के सामने रोजगार, जल संसधन, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के मसले पर प्रजेंटेशन दी। दिल्ली में हुई इस मीटिंग का एजेंडा ‘आर्थिक नीतियां- आगे का रास्ता’ (Economic Policy – The Road Ahead) था।

बजट पेश से पहले पीएम का देश के टॉप अर्थशास्त्रियों के साथ बैठककर अर्थव्यस्था पर उनके सुझावों को जानना काफी अहम माना जा रहा है। सरकार इस सुझावों को बजट में शामिल कर सकती है।

गौरतलब है भारत आर्थिक विकास में धीमी गति से गिरावट का सामना कर रहा है। आर्थिक विकास की दर 2018-19 की चौथी तिमाही में घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई। विकास दर में कमी की वजह से कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है।

बैठक में औद्योगिक और विनिर्माण उत्पादन संख्या में गिरावट, मोटर वाहन बिक्री और घरेलू तेल की खपत में कमी जैसे मुद्दों पर पीएम ने अर्थशास्त्रियों के सुझाव जानें। केंद्र सरकार के सामने कृषि संकट और बेरोजगारी जैसी चुनौतियां भी हैं। 2017-18 में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। दूसरी ओर किसानों की आय को बढ़ाना सरकार के लिए एक चैलेंज है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार हमलावर रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को राज्‍यों के वित्त मंत्री से मुलाकात की थी। बैठक में केंद्रीय वित्तमंत्री ने देश की आर्थिक विकास में राज्‍यों से सहयोग मांगा है। बैठक में राज्यों की मांगों पर भी बजट में खासा ध्यान दिया जाएगा। मालूम हो कि केंद्र सरकार का लक्ष्य भारत को साल 2024 तक 5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने का है जो कि बड़ी चुनौती है।