रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को आज 8वां दिन है। इस दौरान भारत ने यूक्रेन में पढ़ने वाले 18 हजार बच्चों की सुरक्षित घर वापिसी कर ली है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार बीते 24 घंटो में 15 फ्लाइटे भारत आई हैं। अगले 24 घंटो के लिए 18 फ्लाइटों को यूक्रेन भेजा जाएगा। जिनके जरिए बचे हुए भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकालने का काम किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन से वापस लौटे मेडिकल छात्रों से बात की। जिन्होंने प्रधानमंत्री को शुक्रिया कहा।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से बात करते हुए कहा कि, कोई नहीं चाहता कि, हमारे बच्चे देश से बाहर जाएं। प्रधानमंत्री ने कहा “अगर पहले से मेडिकल नीति सही होती तो आप लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता। कोई मां-बाप नहीं चाहता कि, उनका बच्चा देश से बाहर जाए। पहले हमारे देश में तीन सौ-चार सौ मेडिकल कालेज थे। जो बढ़कर अब 700-800 हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मेरी योजना है कि, आने वाले दिनों में हर जिले में मेडिकल कालेज हो, आने वाले 10 सालों में देश में इतने डॉक्टर बनेंगे जितने बीते 70 साल में नहीं बने हैं।”

हर साल कितने बच्चे मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं विदेश- ऑल इंडिया फ़ॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एसोसिएशन के मुताबिक हर साल 12,000 से 15,000 भारतीय छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है भारत में सरकारी मेडिकल कालेजों की कम संख्या। देश में अभी सरकारी मेडिकल कालेजों की संख्या 600 से कुछ ज्यादा है। जबकि निजि मेडिकल कालेज में फीस बहुत ज्यादा होने की वजह से बच्चे विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करना ज्यादा बेहतर समझते हैं।

इन देशों में पढ़ाई करने जाते है भारतीय बच्चे – भारत से हर साल 15 हजार छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान ऑस्ट्रेलिया जैस देशों में जाते हैं। वहीं देश में डॉक्टरी की डिग्री को अच्छे रोजगार की गारंटी माना जाता है। जिसके चलते देश में कुल मेडिकल की 58 हजार सीटों पर 10 लाख से ज्यादा बच्चे इम्तिहान देते हैं। ऐसे में जिन बच्चों को सरकारी मेडिकल कालेज में एडमिशन नहीं हो पाता तो वे लोग विदेश में जाकर मेडिकल की पढ़ाई शुरू कर देते हैं।

यूक्रेन में कोई भारतीय बंधक नहीं – विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि, हमारे पास वहां पर बंधक बनाकर रखने की कोई भी जानकारी नहीं है। भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए हमें जो रूट सुविधाजनक लगेगा हम वहां से उन्हें निकालेंगे।

यूक्रेन से बाहर निकलने के बाद ज़्याजा परेशानी नहीं है। उन्होंने बताया कि, शुरुआत में 20,000 भारतीय नागरिकों का पंजीकरण किया गया था, लेकिन कई ऐसे भी थे जिन्होंने पंजीकरण नहीं कराया था। हमारा अनुमान है कि कुछ सौ नागरिक अभी भी खार्किव में रह रहे हैं। हमारी प्राथमिकता छात्रों को सुरक्षित रूप से बाहर ले जाना है।

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18 हजार बच्चों की हुई सकुशल वापसी – विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि, हमारी पहली एडवाइजरी जारी होने के बाद कुल 18,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत लौटे हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत 30 उड़ानें अब तक यूक्रेन से 6,400 भारतीयों को लेकर भारत पहुंचीं हैं। अगले 24 घंटों में 18 और फ्लाइट शेड्यूल हैं।