दिल्ली हिंसा को लेकर संसद के उच्च सदन में सोमवार को विपक्ष के सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के बीच सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष की मान-मनौव्वल और सदन चलाने की कोशिशें भी देखी गईं। सोमवार दोपहर राज्य सभा कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग की और नारेबाजी करते हुए आसन के सामने पहुंच गए। इसी बीच उपसभापति हरिवंश ने सभी विपक्षी सदस्यों को अपनी सीट पर जाने को कहा और मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए नाम लिया।
निशंक विधेयक पेश कर बैठ गए। उपसभापति ने कहा कि क्या उन्हें विधेयक पर कुछ कहना भी है? इसके बाद एचआरडी मंत्री ने विधेयक के पक्ष में भाषण शुरू कर दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों के सदस्य आसन के सामने आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस दौरान कुछ सदस्यों ने मुंह पर काली पट्टी भी बांधी थी। शोरशराबे के बीच निशंक भाषण पढ़ रहे थे और सत्ता पक्ष बीच-बीच में मेज थपथपाकर उनका समर्थन कर रहा था।
सदन में कुछ सदस्य इस स्थिति को टालने की कोशिश में दिखे। सबसे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश सत्ता पक्ष की ओर आए और उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से कुछ कहा। कुछ देर तक दोनों के बीच बातचीत होती रही। इसके बाद रमेश सदन के नेता थावरचंद गहलोत की सीट तक गए और उनसे बातचीत की। लगातार चल रहे व्यवधान के बीच रेल मंत्री विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की सीट तक गए और उनके साथ बैठकर कुछ देर बातचीत की। फिर रेल मंत्री उठकर वापस आ गए।
इस दौरान विपक्ष के सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे। दोपहर ढाई बजे के आसपास उपसभापति ने सदन की कार्यवाही तीन मार्च सुबह ग्यारह बजे तक स्थगित कर दी। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक पेश करते समय पहली पंक्ति से भाषण दे रहे थे। उनके सामने विपक्ष के सदस्य नारेबाजी और शोरशराबा कर रहे थे, जिससे भाषण में लगातार व्यवधान पड़ रहा था।
संजय सिंह के नेतृत्व में नारेबाजी : उच्च सदन में सोमवार को हुई नारेबाजी का नेतृत्व आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह कर रहे थे। वह बार-बार नया नारा उछालते और उनके पीछे अन्य सदस्य उनका अनुसरण करते। 30 मिनट तक लगातार नारेबाजी के बीच कई बार जब संजय सिंह थोड़े थके नजर आते तो उनकी पार्टी के अन्य सदस्य नारेबाजी का नेतृत्व करने लगते।
