प्रख्यात भौतिकीविद (Physicist) और पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर रोहिणी एम गोडबोले का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 71 साल की थीं और लंबे समय से बीमार थीं। उनके निधन पर पीएम मोदी समते देश के कई नेताओं ने दुख जताया। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के सेंटर फोर हाई एनर्जी फिजिक्स (सीएचईपी) ने यह जानकारी साझा की थी। प्रोफेसर रोहिणी एम गोडबोले के निधन से उनके कई विद्यार्थियों एवं सहयोगियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और याद किया है।

भारतीय विज्ञान में महिलाओं की हिमायती

प्रोफेसर रोहिणी एम गोडबोले का जन्म 1952 में हुआ था। उनका जाना अनेकों छात्रों और लोगों के लिए काफी मायने रखता है। 1995 में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर वह सीएचईपी से जुड़ीं और 1998 से वह वहां प्रोफेसेर थीं। 31 जुलाई, 2021 को सेवानिवृत के बाद वह मानद प्रोफेसर बन गयीं।

पिछले चार-पांच महीनों से अस्वस्थ होने के बावजूद, वह विज्ञान से दूर नहीं रह सकीं, क्योंकि उन्होंने और भौतिक विज्ञानी सुनील मुखी ने कुछ महीने पहले ही अगली पाठ्यपुस्तक के लिए विषय को अंतिम रूप दिया था। भारत में STEM के लिए लैंगिक समानता की प्रबल समर्थक गोडबोले ने महिला शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने के लिए हर मंच का इस्तेमाल किया है, चाहे वह बड़ा हो या छोटा।

न्होंने भारतीय विज्ञान अकादमी (IASc) में विज्ञान में भारतीय महिलाओं के पैनल का गठन किया। वह समिति की सदस्य थीं जिसने ‘INSA रिपोर्ट: भारतीय महिलाएं और विज्ञान तक पहुंच’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की, जो अपनी तरह की पहली रिपोर्ट थी।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (कानपुर) के ‘थ्योरिटकल फिजिक्स’ के प्रोफेसर जयदीप चक्रवर्ती ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ यह न केवल एचईपी समुदाय के लिए बल्कि भौतिकी के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है। उन्हें एक महान भौतिकीविद और एक शिक्षक के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने युवाओं को अनुसंधान में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।’’

आईआईएससी में उनके सहकर्मी अरिंदम घोष के अनुसार, गोडबोले एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक से कहीं बढ़कर थीं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘वह एक नेता थीं और विज्ञान में महिलाओं की प्रबल समर्थक थीं। वह एक ऐसी दोस्त थीं, जिनकी कमी खलेगी।’