कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी, कम्युनिस्ट लीडर गोविंद पानसारे और तर्कवादी और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल कारतूसों के खोल की फोरेंसिक जांच से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच से मिले निष्कर्ष इस बात की ओर इशारा करते हैं कि तीनो हत्याओं को एक ही तरह के लोगों ने अंजाम दिया। सबूतों से इस बात का शक मजबूत होता है कि कुछ खास हत्यारे, जो दो तरह का हथियार इस्तेमाल कर रहे थे, ने इन तीनों अपराधों को अंजाम दिया। तीन अपराधों में मौका ए वारदात से मिले कारतूस के खोलों के फोरेंसिक जांच से कलबुर्गी-पानसारे और दाभोलकर-पानसारे की हत्या में इस्तेमाल हथियारों में समानता होने की बात सामने आई है। बता दें कि कलबुर्गी की इस साल 30 अगस्त को कर्नाटक के धारवाड़ में उनके घर पर हत्या कर दी गई थी। गोविंद पानसारे की महाराष्ट्र के कोल्हापुर में फरवरी 2015 में, जबकि नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में अगस्त 2013 में हत्या कर दी गई थी।
कर्नाटक सीआईडी की ओर से कलबुर्गी की हत्या की चल रही जांच से जुड़े कई सूत्रों का कहना है कि इन तीनों अपराधों में आपस में जरूर कोई लिंक है। मौके से मिले कारतूसों के खोल की जांच से इस बात का पता चलता है। इन तीनों हत्याकांड में मारे गए लोगों के प्रोफाइल, हत्या की वजह, हत्या के तरीके और हत्या में इस्तेमाल 7.65 मिमी के देसी हथियार की वजह से काफी समानता पहले से थी। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इनके आपस मे जुड़े होने का कोई वास्तविक सबूत सामने आया है। नाम न छापने की शर्त पर कर्नाटक के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने कहा, ”फोरेंसिक जांच के मुताबिक कलगुर्गी और पानसारे के मामले में बरामद किए गए कारतूस के खोल बहुत हद तक एक जैसे हैं। हत्या के तरीके के अलावा इस्तेमाल कारतूसों की वजह से भी तीनों मामलों में काफी समानता है। हालांकि, वारदात के दोषियों की पहचान करने के लिए इतने सबूत काफी नहीं हैं।” बता दें कि कर्नाटक के होम मिनिस्टर जी परमेश्वर ने बीते चार दिसंबर को कहा था कि तीन हत्याओं के आपस में लिंक होने से जुड़े अहम सबूत मिले हैं।
69 साल के तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर को 7.65 मिमी के देसी हथियार से चार गोलियां मारी गई थी। 81 साल के कम्युनिस्ट लीडर गोविंद पानसारे और उनकी पत्नी उमा पानसारे को दो 7.65 मिमी के देसी हथियार से पांच गोलियां मारी गईं। महाराष्ट्र में हुए इन दोनों ही मामलों में दो हमलावर सुबह-सुबह मोटरसाइकिल से आए और घर के बाहर मौजूद पीडि़तो को निशाना बनाया। गोविंद पानसारे की पत्नी तो बच गईं, लेकिन गोलियां लगने के बाद ज्यादा खून बनने की वजह से उनके पति की मौत हो गई। कन्नड़ लेखक कलबुर्गी को उनके धारवाड़ स्थित घर के लिविंग रूम में मार डाला गया। यहां भी दो हमलावर सुबह-सुबह मोटरसाइकल पर सवार होकर आए और कन्नड़ लेखक के सिर में 7.65 मिमी के देसी हथियार से दो गोलियां मार दीं। माना जाता रहा है कि इन सभी हत्याओं के पीछे कट्टर दक्षिणपंथी ग्रुप का हाथ है, जो मारे गए लोगों द्वारा हिंदू धार्मिक व्यवस्था की खुलकर आलोचना करने से बेहद नाराज थे। हालांकि, इस बात को साबित करने के लिए फिलहाल कोई सबूत नहीं मिल सका है।
सनातन संस्था पर शक
कलबुर्गी की हत्या की जांच कर रही कर्नाटक सीआईडी, दाभोलकर केस की जांच कर रही सीबीआई और पानसारे मर्डर की जांच कर रही एसआईटी, तीनों को ही दक्षिणपंथी ग्रुप सनातन संस्था के चार लापता लोगों पर इन मर्डर में शामिल होने का शक है। यह चारों गोवा में 2009 में हुए एक ब्लास्ट के आरोपी थे। इन आरोपियों में जयप्रकाश उर्फ अन्ना और रूद्रा पाटिल दोनों ही कर्नाटक से हैं, जबकि सारंग कुलकर्णी उर्फ सारंग अकोलकर और प्रवीण लिमकर महाराष्ट्र के रहने वाले थे। इन सभी की कई सालों से तलाश जारी है। गोवा ब्लास्ट की जांच कर रहे एक एनआईए के अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में इन सभी के नेपाल भाग जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद, 2014 में वे कथित तौर पर वापस लौटे थे। बता दें कि गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने राज्यसभा में दो दिसंबर को दिए लिखित जवाब में कहा था कि उपलब्ध जानकारी के आधार पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे पानसारे, दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या में आपसी लिंक होने के सबूत मिलें।