आप नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने यह कहते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया कि वह अपना पूरा ध्यान सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामलों पर लगाना चाहते हैं जो महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं।
अपने फैसले पर पार्टी नेतत्व के साथ मतभेदों के कयास पर विराम लगाते हुए फुल्का ने कहा कि वह आप का अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे जिसके बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी के पंजाब में अगला विधानसभा चुनाव जीतने के पूरे पूरे आसार हैं।
फुल्का ने कहा, केजरीवाल के साथ विस्तृत चर्चा और उनकी स्वीकति के बाद सामूहिक रूप से यह फैसला किया गया कि मैं सक्रिय राजनीति छोड़ दूं और पार्टी पदों से इस्तीफा दे दूं जिससे कि मैं पीडि़तों को न्याय दिलाने पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकूं।
बाद में चंडीगढ़ में संवाददाताओं से फुल्का ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि हर किसी को समाज कल्याण का कोई न कोई काम करना चाहिए और इसे एक तार्किक अंजाम तक ले जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, मैंने 1984 में युवा वकील के रूप में उनके (दंगा) मामलों को देखना शुरू किया और इन मामलों को आज तक देख रहा हूं।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तीन दशक से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद आज भी हम उसी चीज के लिए लड़ रहे हैं जिसके लिए हम 1984 से लड़ते रहे हैं और यह दोषियों को न्याय के कठघरे में लाना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या आम आदमी पार्टी द्वारा उन्हें विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है, फुल्का ने कहा कि उनके लिए पद महत्वपूर्ण नहीं हैं।
यह पूछे जाने पर कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों में हाल में हुई आप की रैलियों के लिए उनसे मशविरा न कर क्या उन्हें हाशिए पर कर दिया गया है, उन्होंने इसका जवाब न में दिया।
पंजाब के बारे में बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि लोग अकालियों और कांग्रेस से निराश हैं।
उन्होंने कहा, वे (लोग) लंबे समय से विकल्प चाह रहे हैं। वह विकल्प उन्हें ईमानदार पार्टी आप के रूप में मिल गया है। मैं खुद पार्टी में गया था।
पंजाब में आप के स्वयंसेवियों के कठिन परिश्रम और समर्पण की वजह से आज पार्टी ने खुद को स्थापित कर लिया है और आज यह सबसे उपर है। अब यह प्रतीत होता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में आप की जीत अवश्य होगी।