पूर्व पाकिस्तानी पीएम बेनजीर भुट्टो, उनके सहायक अब्दुल रहमान मलिक, भांजे हसन अली जाफरी भुट्टो ने 2001 में ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में पेट्रोलीन इंटरनेशनल नाम की कंपनी डाली थी। बाद में इन तीनों पर आरोप लगा कि इन्होंने इसी कंपनी से मिलते जुलते नाम वाली पेट्रोलीन एफजेडसी नाम की कंपनी के लिए यूएन के ऑयल फॉर फूड प्रोग्राम के तहत ठेके हासिल करने में इराकी सरकार को घूस दी। पेट्रोलीन एफजेडसी को साल 2000 में शारजाह में स्थापित किया गया था। 2005 में यूएन की ओर से यूएस फेडरेल रिजर्व के पूर्व प्रमुख पॉल वोकर के अगुआई में बनी कमेटी ने पाया कि पेट्रोलीन एफजेडसी ने सद्दाम हुसैन सरकार से 115 से 145 मिलियन डॉलर का ठेका हासिल करने के लिए 2 मिलियन यूएस डॉलर का भुगतान किया। 2006 में पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो ने दावा किया कि पेट्रोलीन एफजेडसी के मालिक भुट्टो, मलिक और अली जाफरी थे। भुट्टो और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इन आरोपों को खारिज किया था।
द इंडियन एक्सप्रेस ने इंटरनेशनल लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के डॉक्यूमेंट्स को रिव्यू करने के बाद पाया कि भुट्टो, मलिक और जाफरी ने इससे मिलते जुलते नाम की कंपनी वर्जिन आईलैंड में खोली, लेकिन इस मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता के मद्देनजर फोंसेका पीछे हट गई। कंपनी ने कहा कि फर्म के पार्टनरों ने श्रीमती भुट्टो को क्लायंट के तौर पर स्वीकार न करने का फैसला किया है। यूएन के ऑयल फॉर फूड घोटाले के सामने आने के बाद बेनजीर आरोपों को खारिज करती रहीं। बाद में भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को हत्या हो गई। उनके सहयोगी मलिक अब एक सीनेटर हैं और पीपीपी के सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी के सीनियर मेंबर भी हैं।
लंदन की लॉ फर्म रिचर्ड रूनी एंड कंपनी की ओर से अप्रोच किए जाने के बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड की मोसेक फोंसेका ने 7 सितंबर 2001 को पेट्रोलीन इंटरनेशनल को ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में बतौर स्टैंडर्ड शेल्फ कंपनी के तौर पर निगमित किया। इस कंपनी का कैपिटल 50 हजार यूएस डॉलर था। 28 सितंबर 2001 को भुट्टो, मलिक और जाफरी का नाम उस वक्त सामने आया जब लंदन स्थित मोसेक फोंसेका के दफ्तर ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड वाले दफ्तर को कहा कि वे बेनजीर भुट्टो को 17 हजार शेयर और अब्दुल रहमान फिरोज मलिक व सैयद असन अली चौधरी को 1.65-1.65 लाख शेयर जारी करके। संयोग से शेयरों के बंटवारे का 34-33-33 पर्सेंट का यह पैटर्न पेट्रोलीन एफजेडसी के कथित शेयरहोल्डिंग से मिलता जुलता था। द इंडियन एक्सप्रेस ने मलिक से उनके पाकिस्तान स्थित नंबर पर कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे। हसन भुट्टो भी अपनी टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे।