जम्मू कश्मीर के पंपोर में शनिवार (25 जून) को सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के दौरान भीषण मुठभेड़ के कुछ समय बाद ही अर्धसैनिक बल और सेना के बीच इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि किसके कर्मियों ने आतंकवादियों को मार गिराया। सेना ने दोनों आतंकवादियों को जवाबी गोलीमारी में मार गिराने का दावा किया वहीं सीआरपीएफ ने ‘गलत तरीके से श्रेय लेने’ पर विरोध दर्ज कराया।
कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल सीआपीएफ ने आरोप लगाया कि सेना के कुछ जवान मुठभेड़ समाप्त होने के बाद वहां पहुंचे और आतंकवादियों के शवों के साथ सेल्फी लेने लगे। कुछ समय के बाद ही सेना के उत्तरी कमान ने ट्वीट किया, ‘सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया जिन्होंने पंपोर में सीआरपीएफ काफिले पर हमला किया था…।’
इस बात से नाराज सीआरपीएफ के जवानों और अधिकारियों ने यह मामला सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उठाया। इसके कुछ देर बाद उत्तरी कमान के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट पर लिखा गया, ‘पंपोर ऑपरेशन पर ताजा जानकारी। घायल सीआरपीएफ जवानों को अस्पताल ले जाया गया। सुरक्षा बलों के संयुक्त अभियान में दो आतंकवादी मारे गए।’
सीआरपीएफ अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया कि कोई संयुक्त आपरेशन नहीं हुआ था। सीआरपीएफ के महानिदेशक के दुर्गा प्रसाद से सोमवार (27 जून) को संवाददाताओं ने सवाल किया कि क्या मुठभेड़ में सेना की कोई भूमिका थी। उन्होंने कहा कि सेना की 51वीं राष्ट्रीय राइफल की इकाई घटना समाप्त होने के बाद वहां पहुंची। संपर्क किए जाने पर श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के प्रवक्ता कर्नल एन एन जोशी ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।