ओडिशा हाई कोर्ट ने एक 24 वर्षीय युवती को उसके समलैंगिक पार्टनर के साथ रहने की अनुमति दे दी है और सरकार से ऐसे जोड़ों को सुरक्षा देने का अनूठा आदेश दिया है। याचिकाकर्ता चिन्मयी जेना उर्फ ​​सोनू कृष्णा जेना ने संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत अपनी महिला साथी के रहने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण अर्जी दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसे उसकी मां और चाचा द्वारा उसे उसके समलैंगिक पार्टनर से दूर रखा जा रहा है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके साथी की मां और चाचा उसकी गैर पसंद लड़के से शादी कराने की कोशिश कर रहे हैं।

जेना ने दावा किया कि जब वह अपने साथी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी, तो इस साल अप्रैल में उसकी  मां और चाचा उसके पास आए और उसे जबरन उसकी मर्जी के खिलाफ ले गए।दोनों के बालिग होने के बाद भी  ऐसा किया गया। जेना ने घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं के संरक्षण के प्रावधानों का भी हवाला दिया, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप को स्वीकार किया गया है।

जेना ने कोर्ट को बताया कि वे दोनों साल 2011 से एक दूसरे के साथ प्रेम संबंध में हैं। दोनों ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई साथ पूरी की। वह 2017 से एकदूसरे की सहमति के साथ रिलेशनशिप में हैं। जेना फिलहाल एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हैं। जस्टिस एसके मिश्रा और जस्टिस सावित्री राथो की बेंच ने सुनवाई के दौरान दोनों को साथ रहने का आदेश दिया और पुलिस से उन दोनों को सुरक्षा देने का आदेश दिया।