संसद में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयानों को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया और उनसे इस्तीफा लेने या उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। हंगामे के कारण लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बैठक एक बार स्थगित हुई, जबकि राज्यसभा में पांच बार के स्थगन के बाद बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने संसद के दोनों सदनों में एक बयान में कहा-मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाने का नहीं था और न है। जो बात मेरे मुंह से निकली है, उसके लिए मैं खेद प्रकट करती हूं। उन्होंने राज्यसभा में यह भी कहा कि यदि सदन को लगता है तो मैं इसे लेकर माफी मांगने को भी तैयार हूं।

इस बीच केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की कथित सांप्रदायिक टिप्पणियों पर भाजपा के आलोचनाओं के घेरे में आने के बीच पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो जनसंघ के दिनों से सिद्धांतों और सामाजिक सौहार्द के सिद्धांतों की पक्षधर रही है। सामाजिक सौहार्द हमेशा पार्टी का उद्देश्य रहा है।

राज्यसभा में माकपा नेता सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के नेताओं ने कहा कि मंत्री के माफी मांगने से काम नहीं चलेगा। यह एक संज्ञेय अपराध है। इस मामले में रपट दर्ज कर जांच होनी चाहिए। मंत्री या तो इस्तीफा दें या उनको बर्खास्त किया जाए। विपक्ष इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण देने की मांग भी कर रहा था। इससे पहले शून्यकाल में उच्च सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रजातंत्र में एक केंद्रीय मंत्री से उम्मीद की जाती है कि वह सभ्य भाषा का प्रयोग करेंगे। लेकिन इस मामले में मंत्री ने जिस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग किया और गाली दी उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। शर्मा ने मांग की कि इस मामले में प्रधानमंत्री को सदन में बुलाया जाए और उनसे जवाब देने के लिए कहा जाए।

सपा नेता रामगोपाल यादव ने मंत्री से माफी मांगने और उनके माफी मांगने से इनकार किए जाने की स्थिति में उनसे इस्तीफा लेने या उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। कांग्रेस के नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के इस बयान से देश के 80 फीसद मतदाताओं का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि मंत्री को फौरन मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने भी निरंजन ज्योति को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।

कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी इस मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की। जबकि जद (एकी) नेता शरद यादव ने कहा कि ऐसे मंत्रियों को सरकार में रहने का कोई हक नहीं है। कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने कहा कि मंत्री का बयान एक संज्ञेय अपराध है और इसमें केवल माफी मांगने से काम नहीं चलेगा। भाकपा के डी राजा ने कहा कि मंत्री ने अपनी बात वापस लेकर स्वीकार किया है कि उन्होंने अपराध किया है। सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि मंत्री ने सोमवार को एक बयान दिया था जो स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने इसके लिए दोनों सदनों में आकर माफी मांग ली है। उन्होंने अपराध किया या नहीं, यह सदन के बाहर की एजंसियां तय करें क्योंकि सदन जांच एजंसी नहीं है। इसलिए सदन की कार्यवाही चलने देना चाहिए।

उच्च सदन में विपक्षी कांग्रेस और सपा के सदस्यों ने इस मुद्दे पर कई बार आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी की। हंगामे के कारण पांच बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बज कर 25 मिनट पर सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में सुबह कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि उन्होंने कार्यस्थगन नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि मंत्री का बयान बेहद आपत्तिजनक है। देश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं और ऐसे बयान दिए जा रहे हैं। मंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उनके कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस को मंजूरी नहीं दी। इस पर कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आ गए। तृणमूल कांग्रेस सदस्य भी इस विषय को उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। शोर शराबा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही करीब सवा ग्यारह बजे 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। सदन की बैठक फिर शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष के अनुरोध पर सदस्य अपने अपने स्थानों पर गए और उसके बाद मंत्री निरंजन ज्योति ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया जिसके बाद सदन में प्रश्नकाल की कार्यवाही सामान्य ढंग से आगे बढ़ी।

उधर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि पार्टी जनसंघ के दिनों से ही सामाजिक सौहार्द की पक्षधर है और इस सिद्धांत पर चलती रहेगी। शाह ने अखिल भारतीय दलित महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो जनसंघ के दिनों से सिद्धांतों और सामाजिक सौहार्द के सिद्धांतों की पक्षधर रही है। सामाजिक सौहार्द हमेशा पार्टी का उद्देश्य रहा है।

ज्योति की सोेमवार को एक चुनावी रैली में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर संसद के अंदर भाजपा और राजग सरकार के आलोचनाओं के घेरे में आने के बाद शाह की यह टिप्पणी आई है। ज्योति ने सोमवार को दिल्ली में एक सभा को संबोधित करते हुए विवादास्पद बयान दिया था। खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री ने मंगलवार को अपने बयान पर गहरा खेद प्रकट किया और माफी मांगते हुए कहा कि वे किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती थीं। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि मंत्री की जुबान फिसल गई और माफी मांगने के बाद मुद्दे को नहीं खींचा जाना चाहिए। बहरहाल, इस विवाद पर संवाददाताओं के सवालों का शाह ने जवाब नहीं दिया।

दिल्ली की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करते हुए शाह ने दलित समुदाय से कहा कि वह भाजपा का समर्थन करे और दिल्ली में जीत सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे। भाजपा के देशव्यापी सदस्यता अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सभी वर्ग के लोगों को पार्टी में शामिल करना है। पार्टी ने निर्णय किया है कि इस बार देश के तमाम हिस्सों में, कोई भी मुहल्ला हो, खासकर दलितों और वाल्मीकियों की बस्ती, सब जगह भाजपा की मौजूदगी दर्ज कराई जाएगी।

दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 में दलित समुदाय का अच्छा प्रभाव है। दिल्ली में 1.20 करोड़ मतदाताओं में से करीब 22 लाख दलित मतदाता हैं। भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी की सदस्यता हासिल करने के लिए निर्धारित टोल फ्री नंबर डायल कर ‘लाइव डेमोंस्ट्रेशन’ दिया। उन्होंने पार्टी की सदस्यता लेने के लिए लोगों से 18002662020 नंबर डायल करने को कहा। शाह ने कहा कि टोल फ्री नंबर पर डायल करने वाले के पास एक एसएमएस भेजा जाएगा। जिस पर कुछ ब्योरा मांगा जाएगा और वह ब्योरा भेजे जाने के बाद कोई भी व्यक्ति सदस्य बन सकता है।