संकटग्रस्त यमन से विदेशी नागरिकों के साथ ही हजारों लोगों को हवाई मार्ग से निकालने के हालिया अभियान में भाग लेने वाले एयर इंडिया के चालक दल के बहादुर सदस्यों को धूल भरी आंधी, क्षतिग्रस्त दिशासूचक यंत्र, एटीसी से मिल रहे भ्रामक दिशा-निर्देश जैसी चुनौतियां का सामना करना पड़ा।
जोखिम भरे अभियान में हिस्सा ले चुके एयर इंडिया के एक पायलट ने उन मुश्किल पलों को याद करते हुए कहा कि तीन विमानों और आठ पायलटों की मदद से करीब 2,900 लोगों को निकालने में कामयाबी मिली।
उन्होंने बताया कि नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन राहत’ अभियान में एयर इंडिया टीम के 55 सदस्य शामिल थे।
पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर पायलट ने बताया कि मिशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती धूल भरी आंधी से निपटना थी क्योंकि इस दौरान दृश्यता घटकर 100 फुट से भी कम रह गयी थी।
बाद में हालात बिगड़ते चलं गये। सना हवाई अड्डे पर लैंडिंग सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया। इससे पायलटों को कुछ भी नहीं दिख रहा था। उन्हें विमान उतारने के लिए पूरी तरह से जीपीएस पर निर्भर होना पड़ा।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सबसे अहम चुनौती दृश्यता की थी। राहत अभियान के लिए जब हम वहां पहुंचे तो उस क्षेत्र में धूल भरी आंधी चल रही थी और 100 फुट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद हवाईपट्टी नजर नहीं आ रही थी।’’
पायलट ने कहा कि साफ मौसम रहने पर 10 किलोमीटर की दूरी से भी रनवे को देखा जा सकता है। धूल भरी आंधी के दौरान तो कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘बमबारी से हवाई अड्डे पर लैंडिंग सिस्टम, दूरी आकलन उपकरण और अन्य दिशासूचक उपकरण भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसलिए, उतरने के वक्त मदद के लिए कोई भी उपकरण नहीं था।’’
उन्होंने बताया कि ये सभी दिक्कतें तो थी ही, सना के एटीसी से मिल रही जानकारी से भी भ्रम की स्थिति बन गयी। भारतीयों को निकालने के लिए पांच अप्रैल को विमान जब आसमान में मंडरा रहा था तो उतरने की इजाजत नहीं दी गयी।
एयर इंडिया टीम 30 मार्च को जिबूती पहुंची थी और तीन अप्रैल को अभियान शुरू करने की इजाजत मिली। हरी रोशनी दिखाए जाने के बाद कर्मचारी काम में जुट गए और यमन में सऊदी अरब नियंत्रित क्षेत्रों के जरिए लोगों को निकालने का काम शुरू किया।
पायलट ने बताया कि एयर इंडिया के पायलटों के लिए संघर्षरत क्षेत्रों में जाने का वाकया ऐसा नहीं था जिससे कि वे पहले से वाकिफ नहीं रहे हैं। उन्हें लगातार सतर्क रहकर आसपास देखना पड़ रहा था कि कौन सा विमान उड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भली भांति जानते थे कि हम युद्ध क्षेत्र में उड़ रहे हैं। सऊदी नियंत्रण वाले यमन के हवाई इलाके में हमें अत्यंत चौकस रहना पड़ा। हम लगातार देखते रहे कि क्या बगल में कोई और विमान है। यह बहुत मुश्किल पल था।’’