देश के 91 बड़े जलाशयों में उपलब्ध जल की मात्रा 23.94 बीसीएम रह गयी है जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का मात्र 15 प्रतिशत है। यह बीते साल समान अवधि में 48 प्रतिशत और बीते 10 साल की समान अवधि में औसतन 70 प्रतिशत था। इन 91 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता लगभग 157.79 बीसीएम है, जो भारत की कुल भंडारण क्षमता 253.38 बीसीएम की लगभग 62 प्रतिशत ही है । इन 91 में 37 जलाशयों से 60 मेगावाट से ज्यादा स्थापित पनबिजली क्षमता भी है।

जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान पर नजर डालें तो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के पर्यवेक्षण के अंतर्गत आने वाले 6 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 18.01 बीसीएम है। इन जलाशयों में फिलहाल 4.37 बीसीएम जल का भंडार है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता की तुलना में महज 24 प्रतिशत ही है। इन जलाशयों में बीते साल की समान अवधि में पानी का भंडारण 44 प्रतिशत था जबकि पिछले 10 साल के दौरान औसत भंडारण 32 प्रतिशत था। इस प्रकार इस साल बीते साल की समान अवधि की तुलना में भंडारण कम है और बीते 10 साल के दौरान समान अवधि में औसत भंडारण की तुलना में भी कम है।

पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा पर ध्यान दें तो सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण के अधीन आने वाले कुल 15 जलाशयों की भंडारण क्षमता 18.83 बीसीएम है। इनमें वर्तमान में कुल जल का भंडारण 3.18 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का लगभग 17 प्रतिशत ही है। बीते साल समान अवधि में पानी का भंडारण 29 प्रतिशत था और 10 साल की समान अवधि में औसतन 17 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में बीते साल की तुलना में भंडारण कम रहा है, लेकिन यह बीते 10 साल की समान अवधि में हुए औसत भंडारण के समान है।

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र पर ध्यान दें तो सीडब्ल्यूसी के तहत आने वाले 27 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 27.07 बीसीएम है। इन जलाशयों में इस समय कुल भंडारण लगभग 2.41 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता की तुलना में 9 प्रतिशत ही है। बीते साल समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का कुल भंडारण 25 प्रतिशत था और बीते 10 साल के दौरान समान अवधि में औसतन 22 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण बीते साल की तुलना में काफी कम है और यह बीते 10 साल के औसत की तुलना में भी काफी कम है।

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण में आने वाले 12 जलाशयों की कुल क्षमता 42.30 बीसीएम है। वर्तमान वर्ष में इन जलाशयों में कुल भंडारण 8.65 बीसीएम है, जो कुल क्षमता का 20 प्रतिशत ही है। इन जलाशयों में बीते साल समान अवधि में भंडारण 30 प्रतिशत और बीते 10 साल में समान अवधि के दौरान औसतन 17 प्रतिशत था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण बीते साल की समान अवधि की तुलना में कम रहा है, लेकिन बीते 10 साल की समान अवधि के औसत की तुलना में यह ज्यादा है।

दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना (दोनों राज्यों की सम्मिलित परियोजना), कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण में आने वाले 31 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 51.59 बीसीएम है। इन जलाशयों में फिलहाल कुल 5.33 बीसीएम जल का भंडार है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का 10 प्रतिशत ही है। बीते साल की समान अवधि में इन जलाशयों में भंडारण 33 प्रतिशत और बीते 10 साल में समान अवधि में औसतन 24 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण बीते साल और बीते 10 साल के औसत की तुलना में भी कम रहा है।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, बीते साल की तुलना में इस साल ज्यादा भंडारण वाले राज्यों में राजस्थान, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश शामिल हैं। वहीं बीते साल की तुलना में कम भंडारण वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक शामिल हैं।