देश में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद प्याज की अब दूध की बढ़ी दामों ने लोगों को महंगाई का एक और झटका दिया है। शनिवार को अमूल और मदर डेरी ने अपने दूध के विभिन्न पैकेटों के मूल्य दो से तीन रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए। अमूल दूध बेचने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएफ) और मदर डेरी की बिक्री करने वाले नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से मौजूदा वित्त वर्ष में दूसरी बार इस तरह दामों में बढ़ोतरी की गई है। महंगाई में प्याज के दूध की कीमतों में बढ़ोतरी ने केंद्र सरकार की सिरदर्दी को भी बढ़ा दिया है। साल 2010 से अब तक दिल्ली-एनसीआर में फुल क्रीम दूध की कीमतों में 18 रुपये प्रति लीटर और टोंड मिल्क की कीमत में 14 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। मोदी सरकार के शासन काल में दूध के दामों में 8 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।

साल 2010 फुल क्रीम दूध की कीमत 30 रुपये प्रति लीटर थी जो इस साल 15 दिसंबर को बढ़ कर 56 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई है। वहीं टोंड मिल्क 24 रुपये प्रतिलीटर से बढ़कर 46 रुपये प्रतिलीटर तक पहुंच गया है। इस साल नवंबर में उपभोक्ता खाद्य मुद्रास्फीति 10.01 फीसदी पहुंच गई। दिसंबर 2013 के बाद से यह पहली बार है कि जब खाद्य मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में पहुंची हो। खाद्य मुद्रीस्फीति बढ़ने का असर दूध की कीमतों में भी देखने को मिल रहा है। साल 2018-19 की तुलना में इस साल कोऑपरेटिव और प्राइवेट डेरियों के दूध खरीद में भी 4-5 फीसदी की कमी आई है। शायद पहली बार जीसीएमएफ यूनियंस की दूध खरीद में 5-6 फीसदी की कमी आई है। फेडरेशन 30 लाख दुग्ध उत्पादकों को प्रति किलोग्राम फैट के लिए 100-110 रुपये का भुगतान कर रहा है।

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इस बीच स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में भी पिछले एक साल में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। यह अब 300 रुपये प्रतिकिलोग्राम के स्तर पर पहुंच गए हैं। दूध की आपूर्ति में कमी का कारण कुछ-कुछ मौसम के साथ ही ढांचागत समस्या भी है। रुक-रुक कर होने वाली बारिश के कारण पशुओं के चारने वाले मैदानों में पानी भरा रहा। इससे चारे की भी कमी रही। दूसरी तरफ शादियों का मौसम होने के कारण मांग भी अधिक देखने को मिली।