Manipur Violence: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को आज एक साल पूरा हो गया है, लेकिन हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच में तनाव जारी हैं। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक करीब 226 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में लोगों की पहचान 20 महिला और आठ बच्चों के रूप में हुई है। 1,500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और लगभग 60,000 लोग राहत शिविरों में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं।
संघर्ष शुरू होने के पहले हफ्ते के अंदर बड़े पैमाने पर आगजनी और हिंसा हुई। चुराचांदपुर, कांगपोकपी और मोरेह जैसे कुकी-जोमी बहुल क्षेत्रों में रहने वाले मैतेई लोगों को मैतेई-बहुसंख्यक घाटी में ले जाया गया। इंफाल में कुकी-जोमी और अन्य मैतेई-बहुल क्षेत्रों को चुराचांदपुर और कांगपोकपी में ले जाया गया, जबकि कई लोग राज्य से पड़ोसी मिजोरम या देश में कहीं और भाग गए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि समय के साथ हिंसा के प्रसार में थोड़ी कमी आई है। हालांकि, 13 अप्रैल के बाद फिर से हिंसा की आग दोबारा भड़क उठी है। इसमें कांगपोकपी जिले में दो लोगों की हत्या और बिष्णुपुर जिले में सीआरपीएफ चौकी पर हमले में दो सीआरपीएफ जवानों की हत्या शामिल है। अगर अब बात राज्य की कानून- व्यवस्था की करें तो हालात इतने खराब हैं कि राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह कुकी-जोमी इलाके में जानमाल के नुकसान का आकलन करने के लिए भी नहीं जा पाए हैं। यहां पर समाज का पूरी तरह से बिखराव हो चुका है। ऑफिस हों या हॉस्पिटल, कहीं भी सरकारी सिस्टम नजर नहीं आता है।
जनता के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आगे आना होगा
एक अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि जनता के प्रतिनिधियों को ही बातचीत के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि हम उग्रवादी संगठनों से आसानी से निपट सकते हैं। लेकिन उसके लिए जनता को बीच में नहीं आना होगा। अधिकारी ने यह भी कहा कि अगर लोग बीच में आ जाते हैं तो लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है। अधिकारी ने इस हफ्ते की शुरुआत में हुई एक घटना का जिक्र कर कहा कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने सेना के द्वारा हिरासत में लिए गए 11 लोगों को छुड़ा लिया और इतना ही नहीं बल्कि उनके द्वारा जब्त किए गए हथियारों को वापस करने की मांग भी की।
स्वास्थ्य देखभाल की समस्या
सबसे बड़ी चुनौती पुरानी बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए सही स्वास्थ्य देखभाल की है। सरकारी स्वास्थ्य योजना के बावजूद, कैंसर, मधुमेह से पीड़ित लोगों को सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज मिलने पर भी काफी सारा पैसा पैसे अपनी जेब से खर्च करने पड़ते हैं। कई बार किसी व्यक्ति को ऑपरेशन जैसी स्थिति में चंदे का सहारा लेते हैं। लोगों का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर काम करना चाहिए।
हमारे मुद्दे का समाधान केंद्र के पास- इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के सचिव मुआन टोम्बिंग ने कहा केंद्र को यह अच्छी तरह से जानते हुए कि हम एक प्रशासन के तहत एक साथ नहीं रह सकते। हमारे मुद्दे का समाधान करना होगा। यही आगे का रास्ता है और हम उस पर जोर देते रहेंगे। किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं हो सकता। यह बहुत साफ है कि मणिपुर सरकार इसके बारे में कुछ नहीं करेगी, लेकिन हम केंद्र सरकार के साथ अपनी राजनीतिक मांग पर जोर देते रहेंगे, जबकि हम अपनी जमीन की रक्षा करना जारी रखेंगे। दूसरी तरफ मैतेई हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन COCOMI के प्रवक्ता खुराइजम अथौबा ने कहा कि केंद्र के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका कुकी-जोमी विद्रोही गुटों के साथ सख्त रुख अपनाना है। साथ ही, उनके साथ युद्धविराम समझौते को निलंबित करना है।