अरुणाचल प्रदेश की पनबिजली परियोजना में हुए कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट में नाम होने पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने मीडिया से कहा, “ये जो प्लांट कर रहे हैं न्यूज, हमारे यहां आएंगे तो जूते खाएंगे, लोगों की सेवा करना भ्रष्टाचार है?” इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार (13 दिसंबर) को खबर की थी कि अरुणचाल के दो बांधों के निर्माण से जुड़ी मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) की रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री का भी नाम है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) के सीवीओ सतीश वर्मा की रिपोर्ट के अनुसार अरुणचाल प्रदेश में 600 मेगावाट के कामेंग पनबिजली परियोजना के तहत दो बांधों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। किरेन रिजीजू के चचेरे भाई गोबोई रिजीजू इस परियोजना में सब-कॉन्ट्रैक्टर हैं। सीबीआई ने दो बार औचक निरीक्षण किया है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई है।
रिजीजू ने कहा, “ये खबर किसी ने बदमाशी कर के प्लांट की है, हां लेटर मैंने लिखा है पर उसमें ऐसा कुछ नहीं है। नॉन इश्यू है।” रिजीजू ने अपनी सफाई में इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि उन्होंने स्थानीय लोगों के भुगतान के लिए पत्र लिखा था लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार के बारे में कुछ नहीं पता था। सीवीओ द्वारा भ्रष्टाचार की आशंका जताए जाने के बाद बांध के ठेकेदार का बकाया भुगतान रोक दिया गया था जिसके बाद किरेन रिजीजू ने केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को बकाया भुगतान के बाबत पत्र लिखा था। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस के नेता निनॉन्ग एरिंग ने अरुणाचल प्रदेश पनबिजली परियोजना की जांच की मांग की है। एरिंग ने कहा समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “इस मामले की जांच होनी चाहिए तभी सच सामने आ सकेगा।”
वर्मा की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ठेकेदार पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) , एनईईपीसीओ अधिकारियों और वेस्ट कामेंग जिले के अधिकारियों ने “व्यापक षडयंत्र” करके एनईईपीसीओ और सरकारी कोष का दुरुपयोग किया। वर्मा की रिपोर्ट के अनुसार इस पनबिजली परियोजना में “450 करोड़ रुपये तक का भ्रष्टाचार हो सकता है।” वर्मा रिपोर्ट के अनुसार ठेकेदार ने जाली बिल और वास्तविक भुगतान से बहुत ज्यादा के बिल दिखाकर भुगतान के लिए दिए हैं।
सतीश वर्मा ने द्वारा अनियमितता के बारे में सूचना देने के बाद एनईईपीसीओ ने पीईएल के बकाया बिलों का भुगतान रोक दिया था। इनमें ज्यादातर बिल मई से जुलाई 2015 के बीच के थे। सितंबर 2015 में बांधों का निर्माण कार्य रोक दिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज के अनुसार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने चार नवंबर 2015 को ठेकेदार के रुके हुए भगुतान को जारी करने के लिए बिजली मंत्रालय को पत्र लिखा। रिजीजू के पत्र लिखने के बाद पीईएल की बकाया राशि का एक अंश का भुगतान कर दिया गया। मार्च 2016 में परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हो गया।
Ye jo plant kar rhe hain news,hamare yahan ayenge to joote khaynge,logon ki sewa krna corruption hai?:Kiren Rjiju on Arunachal Hydro Project pic.twitter.com/eNQWLf2ttg
— ANI (@ANI) December 13, 2016
Ye khabar kisi ne badmaashi kar ke plant ki hai, haan letter maine likha hai par usme aisa kuch nahi hai. Non issue hai: Kiren Rijiju pic.twitter.com/Ch6XzL6c89
— ANI (@ANI) December 13, 2016
There should be an investigation into this, then only truth will come out: Ninong Ering,Congress on Kiren Rijiju/ Arunachal Hydro Project pic.twitter.com/4VDgaXaEA8
— ANI (@ANI) December 13, 2016

