नीरज चोपड़ा की वजह से देशवासियों का 125 साल का इंतजार ख़त्म हुआ। टोक्यो ओलंपिक में भारत के जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए 125 साल बाद देश को एथलेटिक्स में गोल्ड दिला दिया। भारत के लाल नीरज चोपड़ा को गोल्ड मिलते ही पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। गोल्ड मेडल मिलने की ख़ुशी में खुद ओलंपियन नीरज चोपड़ा भी ठीक से नहीं सो पाए। कई सालों की मेहनत के बाद ओलंपिक में गोल्ड मिलने की ख़ुशी में नीरज चोपड़ा सोते वक्त भी मेडल को अपने तकिए के बगल में रखकर सोए।

मेडल जीतने के बाद इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने कहा “सोते वक्त भी मेडल मेरे तकिए के बगल में ही रखा हुआ था। मैं ज्यादा देर नहीं सो पाया सिर्फ डेढ़ से दो घंटे तक ही सो पाया।” आगे नीरज चोपड़ा ने कहा कि वो फीलिंग अभी तक आ रही है। ऐसा लग रहा है कि मैंने अपने देश के लिए कुछ ऐसा किया है जो हमेशा यादगार रहेगा। 

नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने वाले पहले खिलाडी हैं। शनिवार को नीरज ने जैवलिन थ्रो के पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका। 87.58 मीटर जैवलिन फेंकने के साथ ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। नीरज ने अपने प्रतिद्वंदी जकुब वादलेच और विटदेस्लाव वेसेली को पीछे छोड़ यह ख़िताब अपने नाम किया। 

देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला यह पल देनेवाले नीरज चोपड़ा के संघर्ष की कहानी भी काफी लंबी है। बचपन में ओवरवेट रहे नीरज चोपड़ा अपने वजन को कम करने के लिए रोज स्टेडियम में जाकर अपना पसीना बहाते थे। इस दौरान नीरज की नजर स्टेडियम में ही जैवलिन थ्रो की तैयारी कर रहे कुछ लड़कों पर पड़ी। जिसके बाद नीरज ने अपने सीनियर के कहने पर पर ऐसे ही जैवलिन फेंक दिया जो काफी दूर जाकर गिरा। बाद में वहां प्रैक्टिस करा रहे कोच ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए आने को कहा।

इसके बाद से नीरज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में नीरज ने पोलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद  2018 में एशियाई खेलों में 88.07 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक भी जीता। 2019 में टोक्यो ओलंपिक की तैयारी कर रहे नीरज चपड़ा के कंधे में प्रैक्टिस के दौरान चोट भी आई और उन्हें सर्जरी भी करानी पड़ी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सर्जरी से उबरने के बाद भी नीरज ने अपना प्रयास जारी रखा और देशवासियों को ख़ुशी से झूमने वाला पल देते हुए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत लिया।