ओडिशा के केवनझार जिले में तीन महीने का एक हाथी का बच्चा नदी में फंस गया इसे बचाने के बाद हाथियों का झुंड एक टापू पर अटक गया। घटना रविवार रात की है। वन विभाग के अधिकारी और स्थानीय लोग इन आठ हाथियों को निकालने में जुटे हैं। दो दिन लगातार बारिश होने के कारण बैतरणी नदी में पानी का स्तर बढ़ गया। इसके चलते हाथी टापू पर फंस गए। केवनझार के वन अधिकारी रोहित लेंका ने बताया कि हाथियों का यह झुंड मयूरभंज जिले की सिमिलीपल बाघ अभ्यारण्य से आया था। खाने की तलाश में वे पटना वन में घुस गए। रविवार को वापस लौटने के दौरान हाथी का एक बच्चा तेज नदी में बह गया।
उन्होंने कहा, ”हाथियों ने अपनी सूंड जोड़ी और फिर बच्चे को उठाकर नदी किनारे से 20 फुट दूर टापू पर ले गए। हालांकि वे नदी को पार सकते थे लेकिन शायद बच्चे की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने ऐसा नहीं किया।” टापू पर जाने के बाद हाथियों का झुंड फंस गया क्योंकि पानी का लेवल बढ़ गया था। अधिकारियों का कहना है कि किनारे पर लोगों के मौजूद होने के कारण भी हाथी डरे हुए हैं। लोगों ने हाथियों के खाने के लिए चावल का भूसा और नारियल पहुंचाए हैं। एक गांववाले ने बताया कि हाथी परेशान है। उन्हें ऐसे परेशान होते देखना अमानवीय है। सोमवार शाम को दो हाथियों ने नदी पारने की कोशिश की लेकिन वे लोगों से डरे हुए नजर आए।
वनपाल भूपति सेठी ने बताया कि अच्छा हुआ कि हाथी वापस सिमिलपल नहीं गए। वहां पर नदी ज्यादा उफान पर है। अगर वे वहां जाते तो बह जाते। ओडिशा में हाथियों के सुरक्षित जमीन बहुत कम है। इसके चलते कई बार उनका इ्ंसानों से सामना हो जाता है। साथ ही उन पर शिकार, जहर देने, बिजली के करंट और ट्रेन से कुचले जाने का डर भी बना रहता है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2012 से 840 हाथी मारे गए हैं। केवनझार में 2002 में 112 हाथी थे जो अब केवल 47 बचे हैं।