ओडिशा के कालाहांडी में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। दाना माझी की घटना के करीब एक महीने बाद कालाहांडी में दूसरी घटना सामने आई है। लोगों की ओर से मदद नहीं मिलने के बाद एक मां को उसकी चार विधवा बेटियों ने कंधा दिया।

कालाहांडी के गोलामुंडा ब्लॉक के डोकरीपाडा गांव में शुक्रवार रात को 80 साल की ब्राह्मण विधवा महिला कनक सत्यापथी की मौत हो गई। कथित तौर पर महिला की चार बेटियों ने मां को अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने के लिए लोगों से कंधा देने की अपील की, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। कुछ साल पहले विधवा हुईं सत्यपथी भीख मांग कर गुजारा करती थीं। उनकी तीन बेटियां विधवा है जबकि एक बेटी को उसका पति अकेला छोड़कर भाग गया। तबसे चारों बेटियां मां के साथ कालाहांडी के इस गांव में ही रहती थी और भीख मांगकर अपना गुजरा करती थीं।

मदद के लिए गांव वालों के आगे नहीं आने के बाद चारों ने खुद मां के शव को ले जाने का फैसला किया। शनिवार सुबह महिला की चारों बेटियों ने मां के शव को उल्टी खटिया पर रखा और कंधे पर लादकर अंतिम संस्कार स्थल तक ले गई। बड़ी बेटी पंकजीनी ने मां को मुखाग्नि दी। बेटियों के पास अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खरीदने के पैसे भी नहीं थे तो उन्होंने संस्कार के लिए घर की छत में लगी हुई लकड़ी की बीम का प्रयोग किया। एक स्थानीय लड़के ने इस घटना का वीडियो बना लिया जब महिलाएं अपनी मां को लेकर जा रही थी।

गौरतलब है कि ओडिशा के कालाहांडी में इससे पहले भी मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आ चुकी है। यहां के एक आदिवासी शख्‍स (दाना माझी) को अपनी बीवी की लाश कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर इसलिए पैदल चलना पड़ा क्‍योंकि उसके पास गाड़ी करने को रुपए नहीं थे। जिला अस्‍पताल प्रशासन ने कथित तौर पर उसे गाड़ी देने से मना कर दिया था। आंसुओं में डूबी बेटी को साथ लेकर, दाना माझी ने अपनी बीवी अमंगादेई की लाश को भवानीपटना के अस्‍पताल से चादर में पलेटा, उसे कंधे पर टिकाया और वहां से 60 किलोमीटर दूर स्थित थुआमूल रामपुर ब्‍लॉक के मेलघर गांव की ओर बढ़ चला।