नूंह में हिंसा के बाद जमीन पर तनाव का माहौल बना हुआ है। इस एक हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई थी, कई घायल हुए और आगजनी भी बड़े स्तर पर देखने को मिली। अब पुलिस की मौजूदगी की वजह से हिंसा तो नहीं हो रही है, लेकिन हालात अभी भी सामान्य नहीं कहे जा सकते। इसी वजह से हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर में सरपंचों ने मुस्लिम व्यापारियों की इलाके में एंट्री पर रोक की मांग कर दी है। उनकी तरफ से ऑनलाइन ही पत्र लिख एक मुहिम शुरू कर दी गई है।

नूंह में ये चल क्या रहा है?

बताया जा रहा है कि कुछ सरपंचों ने नूंह हिंसा का हवाला देकर ही मुस्लिम व्यापारियों की एंट्री पर रोक की मांग की है। तर्क दिया जा रहा है कि एक विशेष समुदाय के लोग चोरी की घटनाओं को अंजाम देते हैं, ऐसे में उस पर रोक लगाने के लिए ये जरूरी है। वैसे पड़ैयावास के सरपंच विजेंदर सिंह ने बताया है कि पत्र लिखा जरूर गया था, लेकिन वो तब दिया गया जब हिंसा शुरू हुई थी। जोर देकर कहा गया कि उन्हें मुस्लिम समुदाय से कोई दिक्कत नहीं है और पत्र भी वापस ले लिया है।

अभी के लिए रेवाड़ी में तो जिलाधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। ये समझने की कोशिश है कि आखिर किन लोगों की तरफ से ऐसी अपील की गई। जोर देकर कहा गया है कि इस तरह का कोई भी पत्र संविधान के खिलाफ है और इस पर एक्शन जरूरी है।

नूंह में कैसे हुई हिंसा?

नूंह हिंसा की बात करें तो ये मोनू मानेसर के एक वीडियो के बाद भड़क गई थी। असल में हिंसा से दो दिन पहले मोनू मानेसर ने कहा था कि नूंह से जो वीएचपी की यात्रा निकलने वाली है, उसमें वे भी शामिल होंगे। उस एक वीडियो के बाद दूसरे समुदाय के लोगों की तरफ से भी भड़काऊ पोस्ट शेयर किए गए। नतीजा ये निकला कि जिस दिन यात्रा शुरू हुई, वहां पर जमकर हिंसा हुई, पथराव हुआ और 6 लोगों की मौत हो गई। अभी तक नूंह हिंसा मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जांच जारी है, ऐसे में आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होती दिख सकती हैं।