नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने ब्रिक्स देशों के अपने समकक्षों से आतंकवाद विरोधी सहयोग के लिए साथ आने को कहा है। यह भी कहा गया कि ब्रिक्स के सभी देशों को आतंकवाद की परिभाषा तय करने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, गोवा में होने वाली ब्रिक्स देशों की मीटिंग में भी इस बात को उठाया जाएगा। साथ ही रविवार को यानी बैठक के आखिरी दिन इससे जुड़ी कोई जरूरी घोषणा भी की जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) की नई परिभाषा गढ़ने की भी तैयारी जारी है। इसके लिए भारत के साथ-साथ ब्राजील, रूस, चीन और साउथ अफ्रीका मिलकर काम कर रहे हैं। कुछ सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को यह भी बताया कि ब्रिक्स देशों के कुछ सीनियर अधिकारी डोभाल की बात से सहमत भी हैं। डोभाल ने इस बात को ब्रिक्स देशों के NSA की मीटिंग में भी उठाया था। यह बैठक सितंबर में नई दिल्ली में हुई थी। ब्राजील के ऊफा में हुई ब्रिक्स की बैठक के वक्त CCIT को चर्चा के विषयों में शामिल नहीं किया गया था। लेकिन 2014 तक इसपर चर्चा हो रही थी। भारत के लिए पाकिस्तान को दुनिया से अलग-थलग करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
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क्या है CCIT?
पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद की एक जैसी परिभाषा करने के लिए कहा गया है। सभी तरह के आतंकी ग्रुप और आतंकी कैंप को बैन करने की बात कही गई है। सभी आतंकी पर विशेष कानून और मुकदमे लगाने की बात और बॉर्डर पार से होने वाले आतंक को प्रत्यर्पणीय अपराध मानने की वकालत।
CCIT को भारत ने ही तैयार किया था। 1966 में इसका ड्राफ्ट तैयार भी कर लिया गया था। लेकिन किसी ना किसी देश को इसके किसी ना किसी प्वाइंट से असहमति होती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएन में भी इसको लागू करने के लिए निवेदन किया था।