स्वयं सहायता समूह (SHG) को दी गई कर्ज की राशि अब तेजी से एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) में बदलती जा रही है। पिछले वित्त वर्ष में लोन के एनपीए बनने की रफ्तार तेज हुई है। ऐसे में अब केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे जिलावार एनपीए का हिसाब रखें और बकाया राशि की वसूली के लिए कदम उठाएं। कुछ राज्यों में तो सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को दी गई लोन राशि का एक चौथाई हिस्सा अब एनपीए में बदल चुका है। इसमें सबसे बड़ा उछाल उत्तर प्रदेश में आया है, जहां कर्ज की राशि के मुकाबले एनपीएम में 15% का इजाफा हुआ।

बताया गया है कि पिछले हफ्ते हुए परफॉर्मेंस रिव्यू कमेटी की मीटिंग में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों के अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, इस बैठक में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना की समीक्षा चल रही थी। इसी योजना के तहत सरकार स्वयं सहायता समूहों को बैंक से जोड़कर समर्थन मुहैया कराती हैं। मीटिंग में बैंक लोन्स के एनपीए बन जाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

इस बैठक के एजेंडा पेपर्स के मुताबिक, मार्च 2020 तक देश के 54.57 लाख SHG पर 91 हजार 130 करोड़ रुपए के बैंक लोन बकाया हैं। इनमें 2168 करोड़ रुपए यानी करीब 2.37 फीसदी राशि एनपीए में बदल चुकी है। वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले SHG को दिए कर्ज के एनपीए में बदलने में यह 0.19% की बढ़ोतरी है। हालांकि, कुछ राज्यों में यह बढ़त और ज्यादा रही। करीब 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SHG को मिलने वाले लोन्स के एनपीए में बदलने का अनुपात राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जहां 71,907 SHG हैं, वहां बैंक से लिए गए कर्ज का 36.02 फीसदी एनपीए में बदल चुका है। वहीं, यूपी के बाद पंजाब का नंबर है, जहां कर्ज के मुकाबले 19.25 फीसदी राशि एनपीए में बदल चुकी है। इसके बाद उत्तराखंड (18.32 फीसदी) और हरियाणा (10.18 फीसदी) का नंबर है। चौंकाने वाली बात यह है कि टॉप-4 में तीन राज्य भाजपा के शासन वाले हैं।

दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में SHG को मिली कर्ज की राशि का 43 फीसदी एनपीए में बदल चुका है, जो कि सबसे बड़ा आंकड़ा है। हालांकि, यहां स्वयं सहायता समूहों की संख्या सिर्फ 209 है। दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में SHG को मिली कर्ज की राशि का 43 फीसदी एनपीए में बदल चुका है, जो कि सबसे बड़ा आंकड़ा है। हालांकि, यहां स्वयं सहायता समूहों की संख्या सिर्फ 209 है। सात राज्यों (मध्य प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा) में SHG को दिए गए कर्ज के मुकाबले एनपीए 5 से 10 फीसदी के बीच है।

इसके अलावा 10 अन्य राज्यों (छत्तीसगढ़, गोवा, तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, मेघालय, झारखंड, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में एनपीए 5 फीसदी से कम है, लेकिन राष्ट्रीय औसत (2.37 फीसदी) से ज्यादा है। महज छह राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश (मणिपुर, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और मिजोरम में एनपीए का हिस्सा राष्ट्रीय औसत से कम है।