प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ओमीक्रोन के खतरे को देखकर सरकार ने फैसला लिया है कि अब 15 से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। 3 जनवरी 2022 से यह काम शुरू होगा। इसके अलावा 10 जनवरी से हेल्थ केयर वर्कर को बूस्टर डोज लगेगी। 60 वर्ष से ऊपर की आयु के कॉ-मॉरबिडिटी वाले नागरिकों को, उनके डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन की Precaution Dose का विकल्प उनके लिए भी उपलब्ध होगा।

ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों पर चिंताओं के बीच राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि यह फैसला कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को तो मजबूत करेगा ही, स्कूल और कॉलेजों में जा रहे बच्चों की और उनके माता-पिता की चिंता भी कम करेगा। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चा के कर्मियों के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को सुरक्षित रखने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

पीएम ने कहा कि नाक से दिया जाने वाला टीका, कोविड के खिलाफ दुनिया का पहला डीएनए आधारित टीका जल्द ही भारत में शुरू होगा। उनका कहना था कि ये समय सावधान रहने का है। यह घबराने का समय नहीं है बल्कि सचेत रहने का है। सभी को सावधान रहकर मास्क का उपयोग, हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करना चाहिए। उत्सव में शामिल हों लेकिन पूरी सावधानी के साथ। लापरवाही न दिखाएं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अनुभव दिखाते हैं कि व्यक्तिगत स्तर पर सभी तरह के एहतियाती उपाय कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार हैं। अर्हता रखने वाले 90 फीसदी वयस्कों को कोविड टीके की पहली खुराक लग चुकी है। जबकि 61 फीसदी लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी है। उनका कहना था कि हमारी मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली के कारण देश में कई जगहों पर पात्र आबादी का 100 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया गया है। टीकाकरण वाकई अभूतपूर्व रहा है।

मोदी ने कहा कि आज देश कोरोना से लड़ाई के मामले में मजबूत स्थिति में है। हमारे पास 18 लाख आईसोलेटेड बैड हैं। 5 लाख आक्सीजन, 1 लाख 40 हजार आईसीयू बैड भी तैयार हैं। इनके अलावा 90 हजार बैड बच्चों के लिए हैं। हमारे पास 3 हजार से ज्यादा पीएसए आक्सीजन प्लांट हैं। चार लाख सिलेंडर सूबों को दिए गए हैं। राज्यों को दवाओं की बफर डोज तैयार करने में सहायता की जा रही है। टेस्टिंग किट्स भी लगातार मुहैया कराए जा रहे हैं। भारत में अभी तक कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के कुल 415 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 115 लोग स्वस्थ हो चुके हैं या देश छोड़कर चले गए हैं।