प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के ऐलान के 50 दिनों के बाद भी देश के एटीएम खाली हैं। कैश भरने वाली बड़ी संस्थाओं के अनुसार, कुल 2.2 लाख मशीनों में से सिर्फ 35-40 फीसदी एटीएम ही कैश दे पा रहे हैं। बैंकिंग और पेमेंट्स सर्विस प्राेवाइडर, फिडेलिटी इंफॉर्मेशन सर्विसेज (FIS) के इंडिया एंड साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर रामस्वामी वेंकटचलम के अनुसार, बैंक अभी भी चौबीसों घंटे एटीएम में कैश की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं। वेंकटचलम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ”FIS के 12000 एटीएम में से करीब 37 प्रतिशत कैश दे रहे हैं। देशभर के एटीएम का हाल भी कुछ ऐसा ही है। सही मूल्य की नकदी उपलब्ध न होना ही एटीएम न चलने के पीछे मुख्य वजह है।” एटीएम में पैसे भरने के बाजार में 47 फीसदी हिस्सा रखने वाली एनसीआर कॉर्पाेरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर (भारत व दक्षिण एशिया) नवरोज दस्तूर ने कहा, ”अगर हम एटीएम के लिए 100 करोड़ रुपयों की मांग कर रहे हैं, तो हमें बैंकों से सिर्फ इसका एक-तिहाई ही मिल पा रहा है। इससे देशभर में एटीएम की कार्यप्रणाली प्रभावित हुई है।”
देशभर के सभी एटीएम को 500 और 2,000 रुपए के नए नोट निकालने योग्य बनाने के लिए री-कैलिबरेट किया जा चुका है। लेकिन ज्यादातर एटीएम सिर्फ 2,000 रुपए के नोट ही दे रहे हैं क्योंकि छोटी रकम के नोट उपलब्ध नहीं हैं। वेंकटचलम ने कहा, ”आमतौर पर 5-10 फीसदी एटीएम विभिन्न वजहों से बंद रहते हैं। इस लिहाज से यह माना जा सकता है 8 नवंबर की मध्यरात्रि से खास बैंक नोटों की निकासी काम कर रहे होंगे। चूंकि यह (नोटबंदी) मंगलवार को और महीने के शुरुआती 10 दिनों में हुआ, जो कि पीक टाइम है, ज्यादातर एटीएम फिर से भरे गए होंगे और नोटबंदी के समय कैश दे रहे होंगे। 28 दिसंबर को, कुल एटीएम का करीब 40 प्रतिशत या करीब 80 हजार एटीएम ही काम कर रहे होंगे, वह भी पूरी क्षमता से नहीं।”
देश की कुल सात पंजीकृत कैश लॉजिस्टिक कंपनियों की 8800 कैश वैनों के माध्यम से बैंक नोट विभिन्न एटीएम तक पहुंचाए जाते हैं। हर एटीएम में चार कैसेट होते हैं जिनमें अलग-अलग मूल्य के नोट भरे जाते हैं। एक एटीएम में चार कंटेनर होते हैं, जिन्हें कैसेट्स कहा जाता है।
एक कैसेट में किसी खास रकम के 2,500 नोट भरे जा सकते हैं। किसी भी समय एटीएम में अधिकतम 10,000 नोट ही डाले जा सकते हैं। एक कैसेट में सिर्फ एक खास करंसी के नोट ही भरे जा सकते हैं।
