50 दिन के बंद की वजह से अस्थियां तक रखने की जगह नहीं बची है। कुछ अस्थि कलश बंद के पहले के रखें हैं और बाकि कोरोना संक्रमण के काल में यहां तक आएं है। यह हालत है दिल्ली के सबसे बड़ी श्मशान भूमि कश्मीरी गेट की। अब जब केंद्र के पास अस्थियां रखने के लिए लॉकर नहीं बचे हैं, तो आॅफिस कार्यालय पर प्रबंधक ने अस्थियों के लिए लॉकर नहीं होने का बोर्ड लगा दिया है।
श्मशान भूमि के इस कार्यालय पर दाह संस्कार के बाद अस्थि कलश जमा होते है। तैनात कर्मचारी बताते है कि 3 से 7 दिन में सामान्य तौर पर परिवार ये कलश ले जाते थे लेकिन इस बार परिवार 60 दिन का अधिक समय होने के बाद भी लौटे नहीं। इसकी वजह परिवहन सेवाएं नहीं होना है क्योंकि यहां से कलश लेकर भी जाएंगे तो उन्हें अपने ही घर में ये कलश रखने होंगे।
यहां के अस्थि कलश भंडार गृह में 200 से अधिक कलश है। यहां पर कोरोना संक्रमण के मरीजों के शवों का भी दाह संस्कार हो रहा है। बीते कुछ दिनों से यहां संख्या बढ़ी है क्योंकि पंजाबी बाग से भी यहां शव लाए जा रहे हैं। प्रतिदिन औसतन 45 से 50 दाह संस्कार यहां पर हो रहे हैं। इस कार्य के लिए यहां 65 कर्मचारियों का स्टाफ है।
क्या कहते हैं संरक्षक
शमशान भूमि के संरक्षक सुमन गुप्ता बताते हैं कि शुरूआत के दिनों में काफी परेशानियां थी लेकिन सरकार ने अब शमशाम पर्ची के सथा कलश का विसर्जन हो सकता है। इससे लोगों को राहत हुई है। इसके अतिरिक्त संस्था की तरफ से ऐसे परिवारों को फोन कर सूचना भी दी जा रही है ताकि लोग अपने परिजनों के अस्थी कलश लेने आए। बहुत से लोग जानकारी नहीं होने की वजह से आगे नहीं आ रहे थे लेकिन 50 दिन में हालात काफी सुधरे हैं।
कर्मचारी को ही जाने की अनुमति
कोरोना योद्धा यहां भी हैं। कोरोना के दाह संस्कार के लिए जहां तक परिवार वाले नहीं पहुंचते वहां यहां तैनात कर्मचारी ही दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। परिवार के लोग केवल बिजली दाह केंद्र के प्रवेश द्वार तक ही जाते हैं इसके आगे का पूर्ण कार्य कर्मचारी ही करते हैं। ये भी बतौर कोरोना योद्धा अपना योगदान दे रहे हैं।