डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने नए साल से बड़ा कदम उठाया है। दो हजार रुपए तक की कैशलेस खरीदारी पर उपभोक्ता को अतिरिक्त शुल्क नहीं चुकाना होगा। इतनी रकम की खरीदारी पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) का वहन दो साल तक सरकार करेगी। केंद्रीय कैबिनेट में इस आशय का फैसला लिया गया। फिलहाल, रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपए के डेबिट कार्ड लेन-देन पर 0.75 फीसद का एमडीआर तय कर रखा है। दो हजार और उससे ज्यादा पर एक फीसद शुल्क लिया जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बैंकों और व्यापारियों को एमडीआर का भुगतान करेगी। डेबिट कार्ड, आधार के जरिए भुगतान, यूपीआई (भीम ऐप) से भुगतान पर यह व्यवस्था लागू होगी। रविशंकर प्रसाद के अनुसार, यह व्यवस्था ठीक से लागू करने के लिए एक समिति गठित की गई है। कैबिनेट ने फैसला लिया है कि डेबिट कार्ड से 1000 रुपए तक का भुगतान करने पर सब्सिडी मिलेगी।

उन्होंने कहा कि देश में डिजिटल लेनदेन में लगातार बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से सितंबर 2017 में केवल डेबिट कार्ड से दो लाख 18 हजार, 700 करोड़ का कैशलेस लेन-देन हुआ है। अगर यही रफ्तार रही तो इस वित्त वर्ष के अंत तक यह चार लाख 37 हजार करोड़ का हो जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले रिजर्व बैंक ने एमडीआर शुल्क घटाए थे, लेकिन कारोबारियों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि इससे व्यापारियों का खर्च बढ़ेगा। इसको देखते हुए ही सरकार ने यह कदम उठाया है।

क्या होता है एमडीआर :मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह शुल्क होता है, जो बैंक किसी भी दुकानदार या कारोबारी से कार्ड पेमेंट सेवा के लिए लेता है। ज्यादातर कारोबारी एमडीआर शुल्क का भार ग्राहकों पर डालते हैं। बैंक द्वारा एमडीआर के तौर पर कमाई गई राशि में से कार्ड जारी करने वाले बैंक और कुछ हिस्सा पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड को दिया जाता है। इस चार्ज के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट पर हिचकते हैं।
अभी कितना एमडीआर: 2012 से भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपए के डेबिट कार्ड भुगतान पर 0.75 फीसद एमडीआर तय कर रखा है, जबकि 2,000 से ऊपर एक फीसद एमडीआर लिया जाता है। पिछले दिनों ही रिजर्व बैंक ने इस शुल्क में बदलाव किया है, जो 1 जनवरी 2018 से लागू होगा। तब 20 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार वाले छोटे कारोबारियों के लिए शुल्क 0.40 फीसद होगा और जिसमें प्रति सौदा शुल्क की सीमा 200 रुपए है। 20 लाख से अधिक का कारोबार है तो एमडीआर 0.9 फीसद देना होगा। इसमें प्रति लेन-देन 1,000 रुपए शुल्क की सीमा है।