रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राहुल गांधी की मांग है कि राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत का खुलासा किया जाए, लेकिन ऐसा करना दुश्मन की मदद करने जैसा होगा। निर्मला सीतारमण ने कहा कि राफेल डील अंतरसरकारी समझौते का बेहतरीन उदाहरण है। रक्षा मंत्री ने बताया कि राहुल गांधी सरकार के खिलाफ मुद्दे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह ऐसा कुछ भी नहीं ढूंढ पाएंगे, क्योंकि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त है। राफेल डील की कीमत के खुलासे पर सीतारमण ने कहा कि अगर मैं एयरक्राफ्ट की कीमत या इस बात का खुलासा करती हूं कि इस एयरक्राफ्ट के साथ क्या हथियार अटैच हैं तो यह एक तरह से दुश्मन देश की मदद करने जैसा होगा।

रक्षामंत्री ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि देश के लोग समझेंगे कि राफेल की कीमत पूछने के पीछे कांग्रेस की मंशा सिर्फ माहौल को गरमाने की है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि खुद कांग्रेस ने भी राष्ट्रीय हित के लिए कई संवेदनशील मुद्दों को उजागर नहीं किया है। फिर अब क्यों राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे हैं? वहीं, सुरक्षा बलों में बजट आवंटन को लेकर उठ रही चिंताओं पर सीतारमण ने कहा कि बजट का सही तरीके से इस्तेमाल बजट आवंटन से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर बजट है और वह इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है तो फिर क्या फायदा?

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बता दें कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर फ्रांस के साथ हुई राफेल लड़ाकू विमानों की डील में धांधली करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने राफेल विमानों को कांग्रेस के दौर में हुई डील के मुकाबले काफी ज्यादा कीमत में खरीदा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अगस्त 2007 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने फ्रांस के साथ 126 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए प्रपोजल दिया था। इस प्रपोजल के तहत इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 12 बिलियन डॉलर यानी करीब 42000 करोड़ रुपए बतायी गई थी। इसके तहत 18 विमान फ्रांस तैयार करके देता और बाकी विमान ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत भारत में ही बनाए जाते। लेकिन मौजूदा सरकार ने अब फ्रांस के साथ 36 लड़ाकू विमानों की डील की है, जो 8.7 बिलियन डॉलर यानी  56000 करोड़ रुपए में की गई है। साथ ही, इस डील के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का क्लॉज भी नहीं जुड़ा है।

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