Nipah Virus Symptoms: केरल में एक बार फिर निपाह वायरस कहर बरपा रहा है। कोझिकोड जिले में इस वायरस के कारण दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार रात एक बयान में कहा कि राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक उच्चस्तरीय बैठक की और स्थिति की समीक्षा की। ये दोनों मौतें एक निजी अस्पताल में हुई हैं और निपाह वायरस को इसकी वजह माना जा रहा है। निपाह वायरस का पहला मामला 19 मई 2018 को कोझिकोड में सामने आया था। तब इस वायरस के कारण 17 लोगों की मौत हुई थी।

कोझिकोड जिले में हुई दो मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि निगरानी शुरू कर दी है और मृतकों के सैम्पल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पास भेज दिए गए हैं। इस वायरस से जिन दो लोगों की मौत हुई है उनमें एक 9 सला और 4 साल का बच्चा है।

क्या है निपाह वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस तेजी से उभरता वायरस है। ये जानवरों से इंसान में फैसला है। दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। इस वायरस का पहला केस 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। इसी के नाम पर इस वायरस का नाम निपाह रखा गया है।

कितना खतरनाक है यह वायरस?

अगर इंसान 5 से 14 दिन तक इस वायरस की चपेट में आ जाता है तो ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है। शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं। कई वायरस की तरह ही निपाह का सोर्स भी जानवर को ही माना जाता है। माना जाता है कि चमगादड़ के जरिए ये वायरस इंसानों तक फैलता है। हालांकि, ऐसा भी मानना है कि ये सुअर, कुत्ते, बिल्ली, घोड़े और संभवतः भेड़ से भी फैल सकता है। निपाह वायरस को कम संक्रामक लेकिन ज्यादा घातक माना जाता है। इसका मतलब हुआ कि इससे संक्रमित तो कम लोग हो सकते हैं, लेकिन मृत्यु दर ज्यादा होती है। केरल में जब एक बार निपाह वायरस फैला था तो इसकी मृत्यु दर 45 से 70 फीसदी तक थी।

निपाह वायरस के क्या हैं लक्षण?

इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति में तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश और एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे। अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण बढ़ता है तो वह 24 से 48 घंटे में कोमा में भी जा सकता है। आम तौर पर इसके लक्षण 2 सप्ताह तक रह सकते हैं लेकिन कुछ मामलों में यह एक महीने से अधिक समय तक भी देखे गए हैं।