केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित किए गए नए ई-कॉमर्स नियमों को लेकर सरकार के अंदर ही मतभेद देखने को मिल रहा है। इन नियमों पर उद्योग विभाग के साथ वाणिज्य मंत्रालय और नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे नियम लागू किए गए तो देश में इसका बुरा प्रभाव ईज ऑफ डुइंग बिजनस और छोटे कारोबारों पर दिखायी देगा।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने RTI के माध्यम से इससे संबंधित रिकॉर्ड हासिल किए हैं। इसमें साफ दिखायी देता है कि डिपार्टमेंट फॉर इंडस्ट्री ऐंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई और उपभोक्ता विभाग को इसमें सुधार के लिए सुझाव भी भेजे। बात दें कि इसी साल जून के महीने में इन नियमों का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
जिन नियमों में सुधार की बात कही गई है उनमें विक्रेताओं की लाइबिलिटी में कमी, फ्लैश सेल पर बैन शामिल हैं। इसके साथ ही ‘क्रॉस सेलिंग’ और ‘मिस सेलिंग’ जैसे शब्दों की ठीक से व्याख्या देने की बात कही गई है। आपको बता दें कि जिस मंत्रालय की तरफ से ई कॉमर्स के नए नियम प्रस्तावित किए गए हैं, उसका और DPIIT का मंत्रालय पीयूष गोयल के ही पास है।
NITI आयोग के उपाध्यक्ष ने पत्र लिखकर दी थी चेतावनी
6 जुलाई को नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गोयल को पत्र लिखकर कहा था कि ये नए नियम ग्राहकों की सुरक्षा की पुष्टि नहीं करते हैं। इन नियमों से ईज ऑफ डुइंग बिजनस पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है साथ ही छोटे कारोबारियों की हालत भी खराब हो सकती है। वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने भी कुछ प्रावधानों को लेकर शिकायत की है।
ड्यूटीज ऑफ सेलर्स ऑन मार्केट प्लेस, इन्वेंटरी ई कॉमर्स एंटिटीज के तहत प्रस्तावित नियमों को लेकर भी सरकार के अंदर मतभेद दिखायी दिए हैं। बता दें कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 2019 के मुताबिक लाइबिलिटी के बारे में कहा गया है कि अगर कोई भी प्रोडक्ट खराब निकलता है तो निर्माता या फिर विक्रेता को उसके लिए हर्जाना देना होगा। हालांकि नए नियमों के मुताबिक ऐसी किसी भी दिक्कत के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस ही जिम्मेदार होगा।