New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर मची भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में छोटे बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों के परिजन याद करते हैं कि कुछ ही मिनटों में उन्होंने कैसे नरक का मंजर देखा। अपनी सात साल की बच्ची रिया को खोने के गम में डूबे पिता ने बताया कि मैं और मेरी बेटी बीच में ही फंस गए और एक लोहे की रोड मेरी बेटी के सिर में घुस गई। जब तक हम हॉस्पिटल पहुंचे तब तक बहुत ही देर हो चुकी थी।
टॉइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ओपिल सिंह ने कहा, ‘मैं प्लेटफॉर्म की तरफ जा रहा था, तभी मैंने भारी भीड़ देखी। मेरी पत्नी और मेरा दूसरा बच्चा सीढ़ियों से ऊपर चले गए, लेकिन मैं और मेरी बेटी बीच में फंस गए। लोग हम पर गिरने लगे। इसी बीच एक लोहे की रॉड मेरी बेटी के सिर में घुस गई। मैंने अपनी बेटी को गोद में उठाया और ऑटो रिक्शा से अस्पताल भागा, लेकिन जब तक हम पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’
मेरी बेटी को कोई मुआवजा वापस नहीं ला सकता- ओपिल सिंह
ओपिल सिंह ने कहा कि कोई भी मुआवजा मेरी बेटी को वापस नहीं ला सकता है। मैनेजमेंट की कमी से ओपी सिंह काफी नाराज रहे। उन्होंने बताया कि कैसे प्लेटफॉर्म पर खतरनाक तरीके से भीड़ हो गई थी। जो लोग ऊपर चढ़ रहे थे, उन्हें नीचे उतरने की कोशिश करने वालों ने रोक दिया। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में मृतक पिंकी देवी के भाई ने कहा, ‘हम 12 लोगों का ग्रुप था जो रात करीब 8 बजे प्लेटफॉर्म पर पहुंचे थे। हम प्लेटफॉर्म 14 से नीचे आए थे और जब भगदड़ मची तब हम सीढ़ियों पर थे। मेरी पत्नी, बच्चे, जिनमें मेरी 11 साल की बेटी भी शामिल थी, मेरे साथ थे। हम सब भीड़ में फंस गए और मेरी बेटी कुचली गई। मैं उसे बाहर निकालने में कामयाब रहा, लेकिन उसके कपड़े फट गए थे।’
नई दिल्ली स्टेशन पर 26 फरवरी तक प्लेटफॉर्म टिकट पर रोक
कविता सहगल अपनी रिश्तेदार के लिए शोक मना रही थी। संगीता सहगल पेशे से एक नर्स थीं। वह अपने दोस्तों के साथ में महाकुंभ की यात्रा पर थीं। सहगल ने कहा, ‘मुझे संगीता के नंबर से एक फोन आया और जब मैंने फोन उठाया, तो मुझे किसी और की आवाज सुनाई दी जो मुझे घटना के बारे में बता रही थी।’ इसे किस्मत का खेल बताते हुए सहगल ने कहा कि मुंधल खुर्द में अपने पति के साथ रहने वाली संगीता ने अचानक अपने दोस्तों के साथ प्रयागराज जाने की प्लानिंग की थी। सहगल ने कहा, ‘वह रोहिणी में मेरे घर आई और मुझसे कहा कि वह महाकुंभ जा रही है। मैंने उसके लिए खाना भी पैक किया।’
हर जगह बिखरी पड़ी थीं लाशें
साउथ वेस्ट दिल्ली के कापसहेड़ा के रहने वाले पप्पू ने कहा कि हर जगह लाशें बिखरी पडी थीं। अपनी सास को खोने वाला पप्पू ने कहा कि मैं उन्हें बाहर निकालने में कामयाब रहा और हॉस्पिटल लेकर पहुंचा। हालांकि, काफी देर हो चुकी थी। वह बिहार से मुझसे और पम्मी से मिलने के लिए आई थी। बिहार की रहने वाली और प्रेम नगर की रहने वाली शीला देवी अपने रिश्तेदारों के साथ महाकुंभ में जा रही थीं। रिश्तेदार संतोष ने बताया, ‘शीला और उनके पति उमेश गिरी समेत छह लोग सुबह ही रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और इस हादसे का शिकार हो गए।’ हमें यह बताया गया कि शीला की मौत हो गई है और उनके पति को कई फ्रैक्चर हुए हैं। खराब मैनेजमेंट की वजह से उनकी जान चली गई।
अपनी मां की मौत की खबर सुनकर रो पड़े बच्चे
भगदड़ में जान गंवाने वालों में पूनम रोहिल्ला भी शामिल थीं। एलएनजेपी अस्पताल में अपनी मां की मौत की खबर सुनकर उनके दो बच्चे रो पड़े। द्वारका की रहने वाली पूनम घटना के समय दोस्तों के साथ यात्रा कर रही थीं। उनके एक बेटे ने बताया, “भगदड़ की खबर मिलते ही मैं रेलवे स्टेशन और फिर अस्पताल पहुंचा और तभी मुझे अपनी मां के बारे में खबर मिली।” इतनी भीड़ क्यों, किस बात की होड़? पढ़ें पूरी खबर…